नक्सली साजिश का खुलासा: पुलिस कैंप के पास 15 आईईडी बरामद, सुरक्षा बलों ने बड़ी सफलता प्राप्त की…
नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के कोहकामेटा थाना क्षेत्र में स्थित कच्चापाल-तोके के बीच एक बड़ी नक्सली साजिश का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने यहां से 15 बम (आईईडी) बरामद किए हैं, जिन्हें माओवादी सुरक्षा बलों पर हमला करने के लिए बिछा रहे थे। यह घटना 18 दिसंबर को खोले गए नवीन सुरक्षा एवं जनसुविधा कैम्प कच्चापाल के आसपास की है, जहां सुरक्षा बलों की चौकसी और सर्तकता ने एक बड़े हमले को नाकाम कर दिया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, 20 दिसंबर को डीआरजी, बीएसएफ और स्थानीय सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम नक्सल विरोधी अभियान पर ग्राम तोक-मुसेर की ओर रवाना हुई थी। जब टीम कच्चापाल-तोके के बीच जंगल और पहाड़ी इलाके में सर्चिंग कर रही थी, तो उन्होंने माओवादियों द्वारा बिछाए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) का पता लगाया। इन बमों को श्रृंखलाबद्ध तरीके से पहाड़ी के विभिन्न स्थानों पर लगाया गया था।
सुरक्षा बलों ने तत्काल बीडीएस (बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वॉड) टीम को मौके पर बुलाया। टीम ने सख्त सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए इन 15 आईईडी को बरामद किया, जिनका वजन लगभग 5-5 किलोग्राम था। सभी बमों को मौके पर नष्ट कर दिया गया, जिससे एक बड़े विस्फोट और सुरक्षा बलों पर हमले के प्रयास को नाकाम किया गया।
दो दिन पहले इस स्थान पर आईईडी ब्लास्ट में दो डीआरजी जवान घायल हो गए थे। पुलिस का मानना है कि इन आईईडी को खासतौर पर सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचाने की मंशा से लगाया गया था। साथ ही, इन बमों के फैलाव से ग्रामीणों और वन्य प्राणियों को भी जान का खतरा हो सकता था। माओवादी गतिविधियों में आईईडी विस्फोटों से इस वर्ष अब तक 30 से ज्यादा ग्रामीण घायल हो चुके हैं।
नारायणपुर पुलिस की इस बड़ी सफलता ने नक्सलियों की योजनाओं को विफल कर दिया और सुरक्षा बलों की सतर्कता को साबित किया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस पूरे अभियान को वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में सघन नक्सल विरोधी ऑपरेशन के तहत चलाया जा रहा था।
18 दिसंबर 2024 को कच्चापाल में स्थापित किया गया नया सुरक्षा और जनसुविधा कैम्प अब इलाके में सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है, जहां से माओवादी गतिविधियों को नष्ट करने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं।
इस सफलता को न केवल सुरक्षा बलों की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि यह स्थानीय ग्रामीणों और वन्य जीवों के लिए भी एक राहत की खबर है, जिन्होंने अब तक इन खतरनाक विस्फोटक उपकरणों के चलते अपनी जान की सलामती के लिए संघर्ष किया था।