दल्ली–राजहरा से रावघाट रेल लाइन : ग्राउंड जीरो पर सच
**ताड़ोकी–रावघाट के बीच 7 किमी में 75% काम अधूरा

दिसंबर तक ट्रेन चलने के दावे खोखले**
नारायणपुर। बहुप्रतीक्षित दल्ली–राजहरा–रावघाट रेल लाइन पर किए जा रहे दावों की हकीकत धुंधली पड़ती नजर आ रही है। हमारी टीम द्वारा किए गए ग्राउंड जीरो निरीक्षण में सामने आया कि ताड़ोकी से रावघाट के बीच लगभग 7 किलोमीटर तक रेल लाइन निर्माण का 75 प्रतिशत कार्य अब भी अधूरा है। ऐसे में दिसंबर 2025 से रेल संचालन की संभावनाएं लगभग नगण्य प्रतीत होती हैं।

स्टेशन निर्माण अधूरा, पटरी बिछाने का काम बाकी
रावघाट रेलवे स्टेशन के करीब 25% क्षेत्र में अभी केवल बेस लेवल का काम ही हो पाया है। स्टेशन परिसर के सामने तक पटरी भी नहीं पहुंची। प्लेटफॉर्म का निर्माण अधूरा होने के साथ ही सिग्नल और इलेक्ट्रिक पोल लगाने का कार्य भी शुरू नहीं हुआ है। निर्माण एजेंसी के अनुसार इस कार्य को पूर्ण करने में अभी 6 महीने से अधिक समय लग सकता है।

श्रमिक और मशीनरी की भारी कमी
निरीक्षण के दौरान यह तथ्य भी स्पष्ट दिखा कि पूरे निर्माण क्षेत्र में श्रमिकों और मशीनरी की भारी कमी है। जहां भारी उपकरणों और मज़दूरों की आवश्यकता है वहां काम बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।

पुल–पुलिया निर्माण कछुआ गति से आगे
ताड़ोकी–रावघाट के बीच कई स्थानों पर पुल और पुलिया निर्माण अधर में है। कई जगह केवल नींव भर तैयार हो सकी है। तकनीकी टीम के अनुसार इस खंड पर निर्माण प्रगति बेहद धीमी रही है, जिससे समय पर काम पूरा होना कठिन है।

हमारी टीम का रूट : वन मार्ग से पहुंचा गया सच
खराब सड़क मार्ग और वन क्षेत्र से गुजरने वाली दुर्गम यात्रा के बाद हमारी रिपोर्टिंग टीम मौके पर पहुंची। निरीक्षण में साफ हुआ कि मीडिया में किए जा रहे दिसंबर 2025 से संचालन के दावे जमीन पर दिखाई देने वाली स्थिति से मेल नहीं खाते।

मीडिया के दावे और जमीन हकीकत में बड़ा अंतर
विभिन्न माध्यमों में तेज प्रगति के दावों के विपरीत वास्तविकता यह है कि निर्माण कार्य का एक बड़ा हिस्सा अधूरा है। रावघाट स्टेशन, पुल–पुलिया, बैलेस्टिंग, लेवलिंग और पटरियों का कार्य अभी प्रारंभिक अवस्था में है।

हमारी टीम की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आई सच्चाई
हमारी टीम द्वारा ली गई तस्वीरें और अवलोकन बताते हैं कि दिसंबर से रेल संचालन का दावा फिलहाल संभव नहीं लगता। यदि मशीनरी, संसाधन और श्रमिकों की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो यह परियोजना निर्धारित समय से काफी आगे खिसक सकती है।





