नारायणपुर, 12 जून 2025 // नारायणपुर जिले के कस्तुरमेटा गांव में 11 जून 2025 को “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत एक दिवसीय कृषि शिविर का आयोजन किया गया। भारत सरकार की पहल पर 29 मई से 12 जून तक चल रहे इस राष्ट्रीय अभियान के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में क्षेत्र के किसानों और महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम की अगुवाई कृषि विभाग, पशुधन विकास विभाग, उद्यानिकी विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में की गई। शिविर का उद्देश्य किसानों को आधुनिक, टिकाऊ और लाभकारी खेती के साथ-साथ पशुपालन के नए आयामों से जोड़ना था।
कृषि उपसंचालक लोकनाथ भोयर ने दी योजनाओं की जानकारी
कृषि विभाग के उपसंचालक लोकनाथ भोयर ने किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, फसल बीमा योजना, धान बिक्री हेतु पंजीयन, प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ाने के उपाय, तथा रागी, कोदो, कुटकी और मक्का की खेती से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी दी। उन्होंने अबूझमाड़िया किसानों से अपील की कि वे सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर कृषि को आत्मनिर्भर बनाएं।
पशुपालन क्षेत्र में संभावनाएं: डॉ. दीपेश रावटे
पशुधन विकास विभाग के डॉ. दीपेश रावटे ने कहा कि कस्तुरमेटा क्षेत्र में जल्द ही राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद दूध, मांस और अंडे की मांग में वृद्धि होगी। उन्होंने दुधारू पशुओं की नस्ल सुधार, समयबद्ध टीकाकरण, और कुक्कुट पालन के व्यावसायिक लाभ की जानकारी दी।
वैज्ञानिकों ने दिए तकनीकी सुझाव
कृषि विज्ञान केंद्र, केरलापाल के वैज्ञानिक इंद्र कुमार केमरो ने किसानों को नमक के घोल से बीज उपचार, कतार बोनी, दलहन-तिलहन फसलों की खेती, मृदा परीक्षण, और जैविक खेती पर विस्तृत मार्गदर्शन दिया।
उद्यानिकी विभाग की योजनाएं भी रहीं आकर्षण का केंद्र
उद्यानिकी विभाग के चंद्रशेखर नायक ने आइल पाम खेती, फलोद्यान योजना और इससे जुड़ी राज्य शासन की अनुदान योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने किसानों से कहा कि फलों की खेती के जरिए वे दीर्घकालिक आय प्राप्त कर सकते हैं।
कार्यक्रम में कस्तुरमेटा सरपंच जयराम जुर्री, कृषि विभाग से प्रमिला नाग, टीकम मानकर, पशुधन विभाग से दुष्यंत ठाकुर, तथा ग्राम पंचायत के पंचगण और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।
ग्रामीणों में दिखा जागरूकता का उत्साह
शिविर के दौरान किसानों ने विशेषज्ञों से सवाल पूछकर अपनी शंकाओं का समाधान किया। कार्यक्रम के अंत में विभागीय टीमों ने किसानों के बीच सूचनात्मक सामग्री का वितरण भी किया।
यह शिविर न केवल कृषि जागरूकता का एक सशक्त माध्यम बना, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा का स्रोत भी रहा।
( नारायणपुर ब्यूरो)