भगवान बुद्ध आज भी प्रासंगिक, उनका विज्ञानसम्मत दृष्टिकोण प्रेरणास्रोत : बुद्ध पूर्णिमा पर आयोजन…
नारायणपुर/भोंगापाल। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के ऐतिहासिक स्थल भोंगापाल स्थित छठी शताब्दी में निर्मित बौद्ध चैत्यगृह में बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित कर दीप, अगरबत्ती व मोमबत्तियाँ जलाकर सामूहिक त्रिशरण और पंचशील का पालन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बौद्ध उपासक-उपासिकाएं शामिल हुईं।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केशकाल विधायक श्री नीलकंठ टेकाम ने कहा कि भोंगापाल का बौद्ध चैत्यगृह हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। उन्होंने कहा, “भगवान बुद्ध का संदेश आज के समय में और भी प्रासंगिक हो गया है। वे केवल धार्मिक गुरु नहीं, बल्कि महान वैज्ञानिक चिंतक थे। हमें इस धरोहर को पुनर्जीवित कर आने वाली पीढ़ियों को इसका गौरवशाली इतिहास बताना होगा।”
श्री टेकाम ने आगे कहा कि सिरपुर और भोंगापाल जैसे बौद्ध स्थलों की कलात्मक शैली और निर्माण काल एक समान प्रतीत होते हैं। उन्होंने क्षेत्र को बौद्ध पर्यटन के नक्शे पर लाने की आवश्यकता पर बल दिया।
विशिष्ट अतिथि रायपुर संभाग के कमिश्नर श्री महादेव कावरे ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा रचित ‘बुद्धा एंड हिज धम्मा’ का उल्लेख करते हुए बुद्ध के विचारों को आज के समय के लिए मार्गदर्शक बताया। उन्होंने कहा कि “पंचशील सिद्धांत न केवल आचरण का मार्ग है, बल्कि सामाजिक समरसता का आधार भी है। शिक्षा के बिना समाज प्रगति नहीं कर सकता, अतः इस क्षेत्र को शैक्षणिक केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाना चाहिए।”
कार्यक्रम में डॉ. कृष्णमूर्ति कांबले, बौद्ध समाज के प्रदेश अध्यक्ष अनिल खोबरागड़े, पूर्व इनकम टैक्स कमिश्नर गिरधारी लाल भगत, अंतागढ़ बौद्ध समाज अध्यक्ष घनश्याम रामटेके, उप संचालक अनिरुद्ध कोचे, डॉ. किरण कांबले सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
सभी अतिथियों और ग्रामवासियों के लिए बुद्धदेव संरक्षण समिति भोंगापाल द्वारा मैत्री भोज का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन अनिल खोबरागड़े ने किया और आभार प्रदर्शन समिति सचिव दिनेश सोरी ने किया।
भोंगापाल का यह आयोजन बौद्ध संस्कृति की विरासत को जीवित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध हुआ।