नारायणपुर, 12 जून 2025।
भिलाई इस्पात संयंत्र के महामाया माइंस की सीएसआर योजना के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राजहरा माइंस में ड्राइविंग प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। यह कार्यक्रम “इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड ट्रैफिक रिसर्च (आईडीटीआर)” के सहयोग से संचालित किया जा रहा है।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य महाप्रबंधक (आईओसी-राजहरा) श्री आर. बी. गहरवार थे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक (रावघाट माइंस) श्री अरुण कुमार, उप महाप्रबंधक (राजहरा) श्री शिवेश कुमार, आईडीटीआर के निदेशक श्री अमित गुप्ता तथा सीएसआर उप प्रबंधक श्री के. के. वर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के तहत राजहरा, महामाया, कलवर सहित आसपास के ग्रामों की 21 महिलाओं को ड्राइविंग का तकनीकी व व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के प्रारंभ में महिलाओं को लर्निंग लाइसेंस प्राप्त करने में सहायता दी जाएगी तथा प्रशिक्षण पूर्ण होने पर स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस भी प्रदान किया जाएगा।
मुख्य अतिथि श्री गहरवार ने अपने उद्बोधन में कहा, “ड्राइविंग प्रशिक्षण महिलाओं को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत आधार देगा। यह एक ऐसा कौशल है, जो न केवल आजीविका का साधन बन सकता है बल्कि महिलाओं को सामाजिक रूप से भी सशक्त करता है।”
इस अवसर पर सीएसआर उप प्रबंधक श्री के. के. वर्मा ने प्रशिक्षण से जुड़ी तकनीकी बातों के साथ-साथ ड्राइविंग के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों और सुरक्षा मानकों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्रतिभागियों को व्यवसायिक अवसरों की संभावनाओं से अवगत कराया।
उल्लेखनीय है कि भिलाई इस्पात संयंत्र पूर्व में भी रावघाट खदान क्षेत्र के युवाओं को दो चरणों में लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) प्रशिक्षण प्रदान कर चुका है। यह प्रशिक्षण नवा रायपुर स्थित आईडीटीआर में आयोजित किया गया था। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अब महिलाओं को ड्राइविंग का व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त किया जा रहा है।
आईडीटीआर, छत्तीसगढ़ शासन से संबद्ध व मारुति सुजुकी द्वारा संचालित एक प्रतिष्ठित संस्थान है, जो ड्राइविंग के क्षेत्र में व्यावसायिक कौशल विकास हेतु उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्रदान करता है।
इस पहल के माध्यम से न केवल महिलाओं के लिए नए रोजगार के द्वार खुलेंगे, बल्कि ग्रामीण अंचल की सामाजिक और आर्थिक संरचना में भी सकारात्मक परिवर्तन आएगा।