नक्सल प्रभावित दुर्गम इलाकों में पहुंचा उजाला, विकास की नई सुबह का सूत्रपात
नारायणपुर।
छत्तीसगढ़ के सबसे दुर्गम और लंबे समय तक उपेक्षित रहे अबूझमाड़ में अब अंधेरे का अंत शुरू हो चुका है। कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं के कुशल मार्गदर्शन और क्रेडा विभाग की दूरदर्शिता के चलते सोलर हाईमास्ट लाइट्स के माध्यम से अब इन इलाकों की रात्रिकालीन वीरानी रोशनियों में तब्दील हो रही है।
नियद नेल्लानार योजना के तहत विकासखंड ओरछा के कुतुल, कोडलियार, मोहंदी, कच्चापाल, निरामेंटा, होरादी, गारपा, कदेर और ताड़ोबेडा जैसे अत्यंत दुर्गम और नक्सल प्रभावित गांवों में सोलर हाईमास्ट लाइट्स की स्थापना की गई है, जहां आज़ादी के बाद पहली बार किसी सरकारी पहल ने सच में रात के अंधेरे को हराया है।
जहां नहीं पहुंची थी रोशनी, वहां अब हर रात उजास है
ये वो क्षेत्र हैं, जहां दशकों तक नक्सल गतिविधियों के चलते न विकास की किरण पहुँची, न बिजली की रौशनी। कई बार तो अधिकारी भी सुरक्षा कारणों से इन इलाकों का दौरा नहीं कर पाते थे। लेकिन अब कलेक्टर ममगाईं के नेतृत्व में क्रेडा ने वो कर दिखाया है जो पहले असंभव माना जाता था।
“अबूझमाड़ के इन गांवों में सोलर हाईमास्ट लाइटें केवल बिजली नहीं, बल्कि भरोसे की लौ लेकर आई हैं,” — कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं
सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भरता और सुरक्षा का अहसास
सोलर हाईमास्ट संयंत्रों की स्थापना से स्थानीय लोगों को जहां रात्रिकालीन सुरक्षा का अहसास हुआ है, वहीं सामाजिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिला है। ग्रामीण अब रात में भी घोटुल, सामुदायिक केंद्रों और गलियों में सहजता से आवाजाही कर पा रहे हैं।
क्रेडा विभाग द्वारा स्थापित ये संयंत्र न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अनुकूल हैं, बल्कि लंबे समय तक मेंटेनेंस-मुक्त रहकर सशक्त ग्रामीण अधोसंरचना के उदाहरण बन रहे हैं।
मुख्यमंत्री के प्रति जताया आभार, उम्मीदें और योजनाओं से जुड़ीं
ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और शासन-प्रशासन के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि “पहली बार हमें लग रहा है कि सरकार वाकई हमारे गांव तक आई है।”
“आज हमारे गांवों में जो उजाला है, वो केवल बिजली का नहीं, उम्मीदों का है। अब हमें यकीन है कि अन्य योजनाएं भी इसी तरह यहां तक पहुंचेंगी,” — रामसाय पोयाम, निवासी कच्चापाल
दुर्गमता को दी मात, विकास की ओर कदम
क्रेडा द्वारा किए गए कार्य न केवल तकनीकी दक्षता का उदाहरण हैं, बल्कि यह दिखाते हैं कि राज्य शासन और जिला प्रशासन अगर ठान ले, तो कोई भी भौगोलिक, सामाजिक या सुरक्षा बाधा विकास की राह नहीं रोक सकती।
इन हाईमास्ट संयंत्रों की स्थापना से स्कूल, आंगनबाड़ी, पंचायत भवन, स्वास्थ्य उपकेंद्र, बाजार स्थल आदि स्थानों पर उपयोगिता और भी बढ़ गई है।
विकास की इस बुनियाद से जुड़ेंगे नए रास्ते
विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से सुरक्षा व्यवस्था में सुधार, सामुदायिक जीवन में जागरूकता और शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में तीव्रता आएगी। अब जब एक बार प्रकाश की किरण पहुंची है, तो उम्मीद की जाती है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, और रोजगार जैसी अन्य मूलभूत सुविधाएं भी जल्द ही इन क्षेत्रों में प्रभावी रूप से कार्यान्वित होंगी।
रोशनी से सजे गांव, बदलते अबूझमाड़ की पहचान
अबूझमाड़ अब केवल नक्सल कहानियों का हिस्सा नहीं रहा, बल्कि अब वह विकास के बदलते दस्तावेज में दर्ज हो रहा है। सोलर हाईमास्ट से जो रोशनी फैली है, वह केवल रास्ते नहीं, दिलों को भी रोशन कर रही है।
कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं और उनकी टीम की यह पहल अबूझमाड़ के लिए सिर्फ प्रशासनिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक नई उम्मीद, आत्मबल और स्वाभिमान की रोशनी है।