बिंजली में आस्था और उल्लास के संग शुरू हुआ बड़ बुन्दीन माता मेला…
देव परिक्रमा और समागम की भव्यता से गूंजा मेला स्थल…
नारायणपुर, 25 अप्रैल 2025 // जिले की समृद्ध लोक परंपरा, संस्कृति और आस्था का प्रतीक बड़ बुन्दीन माता मेला का शुभारंभ आज ग्राम बिंजली में पूरे श्रद्धा, उल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुआ। यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि पूरे क्षेत्र का एक प्रमुख लोक उत्सव भी है, जिसमें आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
परंपरागत पूजा से हुई शुरुआत
मेले की शुरुआत बड़ बुन्दीन माता मंदिर में पारंपरिक पूजा-अर्चना और परघाव की विधि से हुई। इसके पश्चात स्थानीय देवी-देवताओं की देव परिक्रमा की रस्म तीन बार पूरी की गई। परिक्रमा के दौरान ग्रामीणों ने अपने-अपने ग्राम देवताओं के प्रतीक डंगई, लाठ, डोली और छत्र को साथ लेकर पारंपरिक पूजा-अर्चना की, जिससे समस्त वातावरण आस्था और भक्ति में रंग गया।
देव समागम बना आस्था का केंद्र
समागम स्थल पर शीतला माता, कोकोड़ी करीन, कंकालीन माता, कोट गुड़ीं सहित कई स्थानीय देवी-देवताओं का आगमन हुआ। इन देव विग्रहों के साथ आए सिरहा, पुजारी और गायता ने विधिपूर्वक धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए। श्रद्धालु जनमानस इस दिव्य क्षण में पूरी श्रद्धा से शामिल होकर भावविभोर हो उठा।
रौनक से भरा मेला स्थल
मेला स्थल पर इस वर्ष भी खास रौनक देखने को मिल रही है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं से लेकर फैंसी दुकानों, मिष्ठान्न केंद्रों तक, हर ओर चहल-पहल का माहौल है। बड़ी संख्या में ग्रामीणों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने मेले को खास बना दिया है।
व्यवस्था भी रही चाक-चौबंद
ग्राम पंचायत बिंजली द्वारा मेले के सफल आयोजन हेतु पार्किंग, पेयजल, विद्युत और सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, जिससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
निष्कर्ष:
बड़ बुन्दीन माता मेला न केवल धार्मिक परंपराओं को जीवंत करता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। ग्राम बिंजली में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यह मेला ग्रामीण जीवन की जीवंतता और लोक संस्कृति की गूंज लेकर आया है।