अबूझमाड़ में विकास का नया दौर : धोबे में खुला 17वां सुरक्षा कैंप, सड़क-नेटवर्क कनेक्टिविटी से बदल रही माड़ की तस्वीर

नारायणपुर | 16 नवम्बर 2025
नक्सलवाद के गढ़ माने जाने वाले अबूझमाड़ में विकास और सुरक्षा की नई लहर तेज हो गई है। ‘‘माड़ बचाओ’’ अभियान के तहत नारायणपुर पुलिस ने एक वर्ष में 17वां नया सुरक्षा एवं जनसुविधा कैम्प ग्राम धोबे में स्थापित किया है। इस कैम्प के खुलने से न केवल सुरक्षा का दायरा बढ़ा है, बल्कि सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी सुविधाओं को दूरस्थ गांवों तक पहुंचाने का रास्ता भी और सुगम हुआ है।
धोबे-अबूझमाड़ का अत्यंत संवेदनशील इलाका, जहां पहली बार सरकारी उपस्थिति हुई मजबूत
धोबे माड़ क्षेत्र का वह हिस्सा है, जिसे लंबे समय तक नक्सल गतिविधियों का प्रमुख आश्रय स्थल माना जाता था। यहां पहली बार इतनी व्यापक सरकारी उपस्थिति दर्ज हुई है। नारायणपुर पुलिस, डीआरजी और आईटीबीपी की संयुक्त टीम ने गहन सुरक्षा तैयारी के बाद यहां नया कैम्प खोला।
ग्रामीणों का कहना है कि पहली बार उन्हें लगता है कि “सरकार अब उनके दरवाजे तक पहुंच रही है।”
सड़क और मोबाइल नेटवर्क-अंदरूनी गांवों की सबसे बड़ी जरूरत
कैम्प के खुलने से इन क्षेत्रों में तेजी से कार्य संभव होंगे-
- ओरछा-आदेर-लंका एक्सिस पर सड़क निर्माण
- पुल-पुलिया, एम्बुलेंस पहुंच, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
- स्कूल संचालित करने में सुविधा
- मोबाइल और इंटरनेट नेटवर्क की उपलब्धता
कई गांवों में अभी तक मोबाइल सिग्नल नहीं पहुंचता था, जिससे बीमारों को अस्पताल तक पहुंचाना और प्रशासनिक कार्यों की जानकारी देना मुश्किल होता था। अब सुरक्षा निगरानी के साथ इन सुविधाओं के विस्तार की उम्मीद बढ़ गई है।
कैम्प का भौगोलिक महत्व-चार महत्वपूर्ण दिशाओं से कनेक्टिविटी
धोबे कैम्प ‘तोके’ थाना ओरछा क्षेत्र में स्थित है –
- ओरछा से 23 किमी
- आदेर से 20 किमी
- कुड़मेल से 10 किमी
- जाटलूर से 5 किमी
इस स्थान से सुरक्षा बलों को बड़े अभियानों, एरिया डोमिनेशन और सड़क निर्माण की सुरक्षा में भारी मदद मिलेगी।
2025 में नक्सलियों के प्रमुख ठिकानों तक पहुंची पुलिस
नारायणपुर पुलिस ने इस वर्ष जिन 17 महत्वपूर्ण स्थानों में कैम्प स्थापित किए हैं, उनमें शामिल हैं –
कुतुल, कोडलियर, बेडमाकोटी, पदमकोट, कान्दुलपार, नेलांगूर, पांगूड, रायनार, एडजुम, ईदवाया, आदेर, कुड़मेल, कोंगे, सितरम, तोके, जाटलूर और अब धोबे।
ये वे क्षेत्र हैं जिन्हें नक्सलियों का ‘कोर जोन’ माना जाता था।
ग्रामीणों की बदलती सोच-अब विकास पर भरोसा बढ़ रहा
धोबे और आसपास के ग्रामीणों ने सुरक्षा बलों का स्वागत किया। ग्रामीणों ने बताया कि पहले माओवादी इस इलाके को अपनी गतिविधियों का केन्द्र बनाए हुए थे, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता था। अब कैम्प खुलने से-
- बाजार तक सुरक्षित आवागमन संभव होगा
- बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी
- सरकारी योजनाएँ आसानी से मिलेंगी
- उपचार के लिए समय पर अस्पताल पहुंचना संभव होगा
एक ग्रामीण ने कहा, “पहली बार हमें लगा कि हमारा गांव भी नक्शे में शामिल है।”
वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में व्यापक अभियान
इस महत्वपूर्ण कार्रवाई में बस्तर रेंज IGP पी. सुन्दराज, कांकेर रेंज DIG अमित कांबले, नारायणपुर SP रोबिनसन गुरिया, आईटीबीपी 44वीं बटालियन कमांडेंट मुकेश कुमार दसमाना, सेनानी 16वीं बटालियन CAF संदीप पटेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अक्षय सबद्रा, अजय कुमार, सुशील कुमार नायक, संजय महादेवा, उप पुलिस अधीक्षक अभिषेक केसरी, मनोज मंडावी, अविनाश कंवर, कुलदीप बंजारे और अजय कुमार सिंह के निर्देशन में बड़ी टीमों ने भागीदारी निभाई।
नारायणपुर डीआरजी, बस्तर फाइटर, आईटीबीपी 27वीं, 38वीं, 40वीं और 44वीं वाहिनी ने इस कैम्प स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अबूझमाड़ में बदल रहा परिवेश-सुरक्षा से विकास की राह
धोबे में कैम्प खुलना केवल सुरक्षा उपलब्धि नहीं, बल्कि अबूझमाड़ के सामाजिक-आर्थिक विकास का संकेत है। लंबे समय तक नक्सल प्रभाव झेलने वाले इन क्षेत्रों में यदि सड़क और संचार सुविधाएं तेजी से पहुंचीं तो आने वाले वर्षों में यहां शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का विस्तार निश्चित रूप से नई तस्वीर गढ़ेगा।




