सात दिवसीय दुर्लभ सत्संग एवं श्रीराम कथा का हुआ भव्य समापन

ऋषिकेश से पधारे स्वामी आनंद जी महाराज ने दिए जीवन सुधार के सूत्र
नारायणपुर। भाजपा कार्यालय प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय दुर्लभ सत्संग एवं श्रीराम कथा का भव्य समापन श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक उत्साह के वातावरण में संपन्न हुआ। अंतिम दिवस पर सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में ऋषिकेश से पधारे श्रद्धेय स्वामी आनंद जी महाराज ने अपने अमृतमय प्रवचन से जनमानस को जीवन के सच्चे अर्थों का बोध कराया।

स्वामी जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा —
“दूसरों को सुधारने से पहले स्वयं को सुधारो। जब अपना जीवन सुधर जाएगा, तो संसार अपने आप सुधर जाएगा।”
उन्होंने समझाया कि जीवन में शांति और आनंद प्राप्त करने के लिए अपने विचार, व्यवहार और वाणी को शुद्ध करना आवश्यक है। संतोष को उन्होंने सुख का वास्तविक आधार बताते हुए कहा — “जो मिला है उसमें संतोष रखो, यही सच्चा सुख है। भोग बढ़ाने से सुख नहीं बढ़ता, इच्छाएँ बढ़ती हैं; और इच्छाएँ जितनी घटेंगी, शांति उतनी बढ़ेगी।”
भगवद्गीता के उपदेशों का उल्लेख करते हुए स्वामी जी ने कहा —
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”
उन्होंने कहा कि मनुष्य को फल की चिंता किए बिना अपने कर्तव्य का पालन करते रहना चाहिए, क्योंकि कर्म में ही आनंद है और यही जीवन सुधार का प्रथम सूत्र है।
स्वामी आनंद जी महाराज ने आगे कहा कि माया का अर्थ है — वह जो बदलती रहती है और जिसमें मनुष्य लिप्त हो जाता है। धन, मान और परिवार साधन हैं, लक्ष्य नहीं। इन्हें भगवान की सेवा मानकर उपयोग करो, पर मोह मत रखो। उन्होंने सत्संग और नामस्मरण को जीवन का सबसे बड़ा बल बताया, जिससे मन शांत होता है और बुद्धि निर्मल बनती है।
कार्यक्रम के दौरान श्री किशन जी महाराज ने संगीतमय शैली में श्रीराम कथा का वाचन किया, जिसमें भक्ति, दर्शन और जीवन-संदेश का सुंदर समन्वय देखने को मिला। उनके गायन और प्रवचन से श्रद्धालु भक्ति-रस में डूब गए।
आयोजन के सफल संचालन में स्थानीय विधायक श्री केदार कश्यप का विशेष सहयोग रहा। भाजपा कार्यकर्ताओं और नगर के श्रद्धालुओं की सक्रिय भागीदारी ने इस सात दिवसीय आध्यात्मिक आयोजन को यादगार बना दिया।
भव्य समापन अवसर पर पूरे परिसर में भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण रहा। आरती और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसमें श्रद्धालु “जय श्रीराम” के उद्घोष के साथ झूम उठे।
आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ समापन, गूंज उठा पूरा प्रांगण ‘जय श्रीराम’ के जयघोष से
समापन अवसर पर जैसे ही आरती प्रारंभ हुई, पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। दीपों की लौ के साथ भक्ति की आभा फैल गई। महिलाओं ने भजनों की स्वर-लहरियों से वातावरण को और भी पावन बना दिया।
स्वामी आनंद जी महाराज के आशीर्वचन के पश्चात जब सामूहिक आरती संपन्न हुई, तो श्रद्धालु “जय श्रीराम” के उद्घोष के साथ झूम उठे। पूरा प्रांगण राम नाम की गूंज से गुंजायमान हो गया।
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी भक्तों के चेहरों पर दिव्य आनंद और आस्था का उजाला झलक रहा था।
अंत में प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। श्रद्धालुओं ने इसे जीवन का यादगार आध्यात्मिक अनुभव बताते हुए आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर नगर के अनेक गणमान्य नागरिक, महिला मंडल, युवा स्वयंसेवक और भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।




