अबूझमाड़ के हृदय ‘ईदवाया’ में खुला नया पुलिस कैम्प, नक्सलवाद के गढ़ में विकास की दस्तक

माड़ बचाव अभियान के तहत पुलिस और आईटीबीपी की संयुक्त पहल, अबूझमाड़ में एक साल में खुला 10वां सुरक्षा एवं जनसुविधा कैम्प…
नारायणपुर।
चार दशक से नक्सलवाद के साए में जी रहे अबूझमाड़ के अंदरूनी इलाकों में अब विकास की नई किरणें फैलने लगी हैं। नारायणपुर पुलिस ने सोमवार को माड़ बचाव अभियान के तहत माओवादियों के शीर्ष नेताओं के आश्रय स्थल रहे ग्राम ईदवाया में नया सुरक्षा एवं जन सुविधा कैम्प स्थापित किया है।
यह कैम्प ओरछा से 12 किलोमीटर तथा एडजूम से 5.5 किलोमीटर दक्षिण दिशा में स्थित है।
कैम्प खुलने के साथ ही इस दुर्गम क्षेत्र के ग्रामीणों में सुरक्षा और विकास की नई उम्मीदें जगी हैं।
नक्सलवाद के गढ़ में पुलिस का ठिकाना, ग्रामीणों में उत्साह
पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों ने जब ईदवाया में तिरंगा फहराया, तो ग्रामीणों की आंखों में भरोसे की चमक दिखी।
लोगों ने नक्सल हिंसा में मारे गए अपने साथियों को याद करते हुए, आतंक के उस दौर को भुलाने और विकास के साथ आगे बढ़ने की बात कही।
ग्रामीणों ने कहा —
“पहले डर के साए में जीते थे, अब पुलिस कैम्प खुलने से राहत और सुरक्षा का माहौल बना है।”
ईदवाया कैम्प खुलने के साथ अबूझमाड़ के भीतर सुरक्षा बलों की यह दसवीं चौकी है, जो बीते एक साल में स्थापित की गई है।
पुलिस और आईटीबीपी की संयुक्त पहल
इस कैम्प को नारायणपुर डीआरजी, बस्तर फाइटर और आईटीबीपी की 29वीं, 38वीं, 44वीं और 45वीं वाहिनी के संयुक्त प्रयासों से स्थापित किया गया।
इस दौरान क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान और सड़क निर्माण कार्य को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से यह ठिकाना तैयार किया गया।
पुलिस अधीक्षक रॉबिनसन गुड़िया (भा.पु.से.) ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कैम्प स्थल का निरीक्षण किया और आस-पास के गांवों — दुलूर, भटबेड़ा, बड़े तोडबेड़ा, आदेर, मरकाबेड़ा और ओरछामेटा — के ग्रामीणों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं।
ग्रामीणों ने बिजली, नल-जल योजना, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और परिवहन जैसी सुविधाओं की मांग रखी।
एसपी ने सभी मांगों को प्राथमिकता से पूरा करने का आश्वासन देते हुए बताया कि जल्द ही “नियद नेल्लानार” योजना के तहत जन समस्या निवारण शिविर आयोजित किया जाएगा और बेड़माकोटी से जिला मुख्यालय तक बस सेवा प्रारंभ की जाएगी।
माड़ बचाव अभियान से बदल रही तस्वीर
बस्तर रेंज के अंतर्गत संचालित माड़ बचाव अभियान ने अबूझमाड़ की तस्वीर बदलनी शुरू कर दी है।
नारायणपुर पुलिस लगातार अंदरूनी गांवों में नए सुरक्षा कैम्प स्थापित कर विकास कार्यों को गति दे रही है।
सड़क, पुल-पुलिया, स्वास्थ्य, शिक्षा, मोबाइल नेटवर्क और अन्य मूलभूत सुविधाएं अब इन इलाकों में पहुंच रही हैं।
पिछले एक वर्ष में नारायणपुर जिले में अब तक 10 सुरक्षा एवं जन सुविधा कैम्प स्थापित किए जा चुके हैं —
जिनमें कुतुल, कोडलियर, बेडमाकोटी, पदमकोट, कान्दुलपार, नेलांगूर, पांगूड, रायनार, एडजूम और अब ईदवाया शामिल हैं।
कैम्प बनने से बढ़ेगा विकास का दायरा
ईदवाया कैम्प की स्थापना से आसपास के क्षेत्रों में विकास की रफ्तार और बढ़ेगी।
पुलिस के अनुसार, इससे सड़कों और पुल-पुलियों के निर्माण, स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, मोबाइल नेटवर्क की पहुंच और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में आसानी होगी।
अबूझमाड़ में पुलिस की उपस्थिति बढ़ने से प्रशासनिक अमला भी अब निर्भीक होकर अंदरूनी गांवों तक पहुंच पा रहा है।
स्थानीय युवाओं को मनरेगा और निर्माण कार्यों में रोजगार के अवसर भी मिलने लगे हैं।
192 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण, 99 मारे गए, 117 गिरफ्तार
नारायणपुर पुलिस के अभियान का असर अब साफ दिख रहा है।
वर्ष 2024-25 में अबूझमाड़ क्षेत्र में चलाए गए लगातार अभियानों के दौरान 192 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया।
वहीं, 99 माओवादी मारे गए और 117 को गिरफ्तार किया गया।
वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अबूझमाड़ में लगातार हो रहे विकास कार्य और कैम्प स्थापना से नक्सल विचारधारा का असर तेजी से कम हो रहा है।
ग्रामीण अब नक्सलवाद का विरोध खुले तौर पर करने लगे हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में खोला गया कैम्प
इस अवसर पर बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पी. सुन्दराज, कांकेर रेंज के डीआईजी अमित कांबले, नारायणपुर पुलिस अधीक्षक रॉबिनसन गुड़िया, छसबल 16वीं वाहिनी के सेनानी संदीप पटेल, आईटीबीपी के कमाण्डेंट दुष्यंतराज जायसवाल (29वीं), रोशन सिंह असवाल (38वीं), राजीव गुप्ता (45वीं), मुकेश कुमार दशमाना (44वीं) तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अक्षय सबद्रा और अजय कुमार की उपस्थिति रही।
वरिष्ठ अधिकारियों ने कैम्प स्थापना में सहयोग देने वाली सभी सुरक्षा वाहिनियों और स्थानीय जवानों को सराहना दी।
उन्होंने कहा कि —
“यह कैम्प सिर्फ सुरक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि अबूझमाड़ के विकास की नई शुरुआत है।”
‘भय के साए से बाहर निकला अबूझमाड़’
ग्रामीणों ने इस मौके पर नक्सलियों द्वारा मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि अब वे भयमुक्त होकर जीवन जीना चाहते हैं।
ईदवाया, आदेर और मरकाबेड़ा क्षेत्र के लोग अब खुलकर प्रशासनिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं।
ग्रामीण भी अब पुलिस से संवाद स्थापित कर रहे हैं और विकास की योजनाओं का स्वागत कर रहे हैं।
नारायणपुर पुलिस का कहना है कि अबूझमाड़ का यह परिवर्तन स्थायी बनाने के लिए प्रशासन हर स्तर पर कार्य कर रहा है।
अबूझमाड़ में बदलती हवा का संकेत
नारायणपुर जिला प्रशासन का यह कदम न केवल सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि विकास की दृष्टि से भी ऐतिहासिक है।
जिस इलाक़े में कभी सरकारी अमला जाने से कतराता था, वहाँ अब सड़कें, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएँ पहुँचने लगी हैं।
ईदवाया कैम्प इस बात का प्रमाण है कि अबूझमाड़ का हर कोना अब मुख्यधारा से जुड़ने को आतुर है।




