24 साल देश सेवा कर लौटा सपूत, पालकी गांव में हर्ष और गर्व का माहौल

सेवानिवृत्त हवलदार सुखदेव दुग्गा का ग्रामीणों ने किया भव्य स्वागत…
नारायणपुर। नक्सल प्रभावित पालकी गांव आज का दिन ऐतिहासिक बन गया। गांव के बेटे सुखदेव दुग्गा, जिन्होंने भारतीय थल सेना में पूरे 24 साल सेवा देने के बाद सेवानिवृत्ति ली, जब अपने गांव लौटे तो वातावरण गर्व और देशभक्ति से गूंज उठा। ग्रामीणों ने उनका स्वागत किसी नायक की तरह किया—गले लगाकर, आरती उतारकर और पुष्पवर्षा करते हुए। यह क्षण न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव और जिले के लिए गौरव का विषय बना।

मंदिर परिसर से सम्मान यात्रा तक
सेवानिवृत्त हवलदार का स्वागत जगदीश मंदिर परिसर में परंपरागत ढंग से किया गया। अखिल भारतीय रिटायर्ड सेना परिषद और ग्रामीणों ने तिलक व माला पहनाकर उनका सम्मान किया। भगवान जगन्नाथ और मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के बाद पूरे गांव और जिला मुख्यालय में सम्मान यात्रा निकाली गई। रास्ते में लोगों ने पुष्पवर्षा कर और घर-घर में आरती उतारकर उन्हें नायक का दर्जा दिया। पूरा गांव इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बना।
नक्सलवाद से देश सेवा तक का सफर
भावुक स्वर में सुखदेव दुग्गा ने कहा कि वर्ष 2001 में उन्होंने सेना ज्वाइन की थी। उस समय नारायणपुर में नक्सलवाद चरम पर था और लोग भयभीत रहते थे। सुरक्षा बलों में भर्ती होना भी लोगों को जोखिम भरा लगता था, लेकिन देश सेवा की भावना ने उन्हें आगे बढ़ाया।
उन्होंने कहा, “24 साल देश की सेवा करने के बाद जब घर लौटा हूं तो अपार खुशी है कि अब नक्सलवाद अपने अंत की ओर है। आज का माहौल उम्मीद जगाता है।”
युवाओं को सेना में आने का आह्वान
सुखदेव दुग्गा ने जिले के युवाओं से अपील की कि वे अवसरों का लाभ उठाकर सेना में भर्ती हों और देश सेवा का हिस्सा बनें। साथ ही नक्सलवाद की ओर भटके युवाओं से उन्होंने कहा कि वे हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटें और राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें।
गांव में उमड़ा गर्व और भावनाओं का सैलाब
उनके साथी और ग्रामीण जागेश उसेंडी ने कहा, “सुखदेव का 24 साल सेवा कर लौटना पूरे गांव के लिए गौरव का पल है। गांव का हर घर उनके स्वागत में शामिल हुआ। यह दृश्य हमेशा याद रहेगा और इस बात का प्रमाण है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोग अब विकास और देशभक्ति की राह पर बढ़ रहे हैं।”
बुजुर्गों और महिलाओं ने भी गर्व व्यक्त किया कि उनके गांव का बेटा सेना से सम्मानपूर्वक लौटा है। बच्चों ने हाथों में तिरंगा लहराकर उनका अभिनंदन किया।
बदलते बस्तर की झलक
नारायणपुर और अबूझमाड़ जैसे इलाके, जहां दशकों तक नक्सलवाद का साया रहा, वहां सुखदेव दुग्गा जैसे सपूतों का स्वागत इस बात का संकेत है कि हालात बदल रहे हैं। देश सेवा का जज्बा अब नक्सलवाद पर भारी पड़ रहा है और गांव-गांव में नई उम्मीदें जन्म ले रही हैं।




