“हरि बोल” के जयघोष से गूंजा नारायणपुर, बहुदा यात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब…
नारायणपुर।
नगर में आस्था, श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला जब भगवान जगन्नाथ जी, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा की बहुदा यात्रा सम्पन्न हुई। गुंडिचा यात्रा के समापन के साथ भगवान तीनों स्वरूपों सहित अपने मुख्य मंदिर वापस लौट आए। यह दृश्य न केवल आध्यात्मिक उल्लास से परिपूर्ण था, बल्कि पूरे नगर में दिव्यता और उत्साह की छटा बिखेर गया।
रथयात्रा की शुरुआत पुराना बस स्टैंड स्थित हनुमान मंदिर से हुई, जहां सुबह से ही श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ पड़ा। तीनों रथों को फूल-मालाओं और पारंपरिक सजावटी वस्त्रों से सजाया गया था। जैसे ही भगवान का रथ नगर की मुख्य सड़कों से होकर निकला, “हरि बोल… हरि बोल…” के गगनभेदी नारों से वातावरण गूंज उठा। भक्तगण नाचते-गाते, शंख-घंटियों की ध्वनि के साथ, रथ को खींचते हुए जगदीश मंदिर तक पहुंचे।
रथ यात्रा के मार्ग में दोनों ओर श्रद्धालु कतारबद्ध होकर भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते रहे। छोटे बच्चों से लेकर वृद्धों तक, सभी वर्ग के लोगों ने पूरे उल्लास के साथ इस धार्मिक उत्सव में भाग लिया। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजकर भगवान को चंदन, अक्षत, पुष्प और नारियल अर्पित करती नजर आईं।
बहुदा यात्रा का आध्यात्मिक महत्व
भगवान जगन्नाथ की बहुदा यात्रा का विशेष धार्मिक महत्व होता है। यह यात्रा रथयात्रा के नौवें दिन आयोजित होती है, जब भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ गुंडिचा मंदिर (ननिहाल) से वापसी कर श्रीमंदिर (अपने मुख्य मंदिर) में लौटते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और समस्त कष्ट हर लेते हैं।
प्रशासन ने किए पुख्ता इंतजाम
रथयात्रा में उमड़ी भीड़ को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की गई थी। पुलिस बल द्वारा पूरे मार्ग पर निगरानी रखी जा रही थी। नगर पालिका द्वारा मार्गों की सफाई, पेयजल व्यवस्था, टेंट और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की भी समुचित व्यवस्था की गई थी।
रथयात्रा के समापन अवसर पर नगर के प्रमुख समाजसेवियों, गणमान्य नागरिकों और विभिन्न धार्मिक संगठनों की सक्रिय सहभागिता देखने को मिली। आयोजन में सहयोग करने वाले स्वयंसेवकों को भी प्रशासन द्वारा सराहा गया।
श्रद्धालुओं में दिखा उत्साह
नगर वासियों ने कहा, “ऐसा लगता है मानो स्वयं भगवान ने नगर में पदार्पण किया हो। यह दृश्य जीवनभर के लिए अविस्मरणीय रहेगा।”