Home नारायणपुर पांगुड़ में खुला नया सुरक्षा कैम्प, माओवादियों की कमर तोड़ने की दिशा में बड़ी पहल

पांगुड़ में खुला नया सुरक्षा कैम्प, माओवादियों की कमर तोड़ने की दिशा में बड़ी पहल

पांगुड़ में खुला नया सुरक्षा कैम्प, माओवादियों की कमर तोड़ने की दिशा में बड़ी पहल

नक्सल प्रभावित माड़ क्षेत्र में अब विकास की नई रोशनी | पुलिस व बीएसएफ की संयुक्त कार्रवाई रंग ला रही…

नारायणपुर।
धुर नक्सल प्रभावित ग्राम पांगुड़ में जिला पुलिस व बीएसएफ की 129वीं वाहिनी के संयुक्त प्रयासों से 29 अप्रैल को एक नवीन सुरक्षा एवं जनसुविधा कैम्प की स्थापना की गई। यह बीते एक वर्ष में नारायणपुर जिले का 14वां नया कैम्प है, जो माड़ क्षेत्र में माओवादियों के खिलाफ जारी लड़ाई को गति देगा।

सुरक्षा के साथ विकास की दोहरी पहल
कैम्प की स्थापना के साथ ही पुलिस और बीएसएफ द्वारा एक दिवसीय कम्युनिटी पुलिसिंग शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। शिविर में ग्रामीणों से संवाद कर उनकी समस्याएं सुनी गईं और दैनिक उपयोग की सामग्री वितरित की गई।

ग्रामीणों में जागा विश्वास, माओवाद से मुक्ति की उम्मीद
क्षेत्रीय ग्रामीणों ने पहले की नक्सली यातनाओं को साझा करते हुए बताया कि अब उन्हें सुरक्षा बलों की मौजूदगी से राहत मिली है और वे खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने माओवाद का साथ नहीं देने और विकास में भागीदार बनने की इच्छा जताई।

सड़क निर्माण से खुलेगा नया मार्ग
कैम्प के साथ ही नारायणपुर-सितरम-बेठिया सड़क का कार्य तीव्र गति से शुरू हो गया है। सितरम अब मात्र 6 किमी दूर है। यह सड़क कोण्डागांव से महाराष्ट्र को जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगी।

“नियद नेल्ला नार” योजना से जुड़ेंगे सुविधाएं
ग्राम पांगुड़ में कैम्प स्थापना के बाद राज्य सरकार की योजनाएं जैसे सड़क, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुल-पुलिया व मोबाइल नेटवर्क की सुविधाएं तेजी से पहुंचेंगी।

वरिष्ठ अधिकारियों का निर्देशन और सुरक्षा बलों की सतत सक्रियता
इस महत्वपूर्ण पहल में बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दराज पी., कांकेर रेंज के डीआईजी अमित काम्बले, नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार सहित बीएसएफ की 129वीं, 133वीं, 135वीं व 86वीं वाहिनी, डीआरजी व बस्तर फाइटर्स की महती भूमिका रही।

अब नक्सलमुक्त बस्तर का सपना होगा साकार
पांगुड़ जैसे दुर्गम क्षेत्र में सुरक्षा बलों का कैम्प स्थापित होना एक चुनौतीपूर्ण उपलब्धि है। यह माओवादी आतंक को नियंत्रित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। ग्रामीणों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का यह प्रयास निश्चित ही बस्तर को नक्सलमुक्त करने में सहायक सिद्ध होगा।

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