दिल्ली की युवा संसद में सुकमा के सुशील मरकाम ने चमकाया जिले का नाम
राज्योत्सव कार्यक्रम में सम्मान — पारंपरिक बस्तर वेशभूषा में दिया प्रभावशाली भाषण, छत्तीसगढ़ की संस्कृति का बढ़ाया मान

सुकमा। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित जिला स्तरीय राज्योत्सव कार्यक्रम में उस पल का हर किसी ने तालियों से स्वागत किया, जब दिल्ली की युवा संसद में सुकमा जिले का नाम रोशन करने वाले श्री सुशील मरकाम का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने सुशील मरकाम को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने अपने विचारों, वेशभूषा और व्यक्तित्व से पूरे देश को बस्तर की संस्कृति और सोच से परिचित कराया।
युवा संसद में छत्तीसगढ़ की पहचान बनी बस्तर की आवाज
धोबनपाल निवासी सुशील मरकाम ने दिल्ली में आयोजित युवा संसद कार्यक्रम में पारंपरिक बस्तर वेशभूषा धारण कर प्रभावशाली भाषण दिया था।
उनके इस भाषण में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, ग्राम्य जीवन और आदिवासी परंपराओं का जीवंत चित्रण था, जिसे पूरे देश ने सराहा।
राज्योत्सव समारोह में मंच से जब सुशील का नाम पुकारा गया, तो उपस्थित दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया।
“हमारी जड़ें ही हमारी ताकत हैं” — सुशील मरकाम
सम्मान ग्रहण करते हुए सुशील मरकाम ने कहा —
“मैं यह सम्मान पूरे बस्तर और अपने गांव धोबनपाल के नाम समर्पित करता हूँ। हमारी जड़ें, हमारी परंपराएँ ही हमारी पहचान हैं, और हमें इन्हें गर्व से आगे बढ़ाना चाहिए।”
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे शिक्षा, संस्कृति और समाज सेवा के माध्यम से राज्य की सकारात्मक पहचान को और मजबूत करें।
जिले के लिए गर्व का क्षण
कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने कहा कि सुकमा जैसे दूरस्थ अंचल से निकले युवा का राष्ट्रीय मंच पर पहुंचना प्रेरणादायक है।
यह केवल सुकमा ही नहीं, बल्कि पूरे बस्तर अंचल के लिए गौरव का क्षण है।
संस्कृति और युवा ऊर्जा का संगम बना राज्योत्सव
राज्योत्सव कार्यक्रम के दौरान जिले के विभिन्न सांस्कृतिक दलों ने भी पारंपरिक नृत्य और लोकगीत प्रस्तुत किए।
मंच पर बस्तर की संस्कृति की झलक दिखाते हुए जब सुशील मरकाम को सम्मानित किया गया, तो पूरा परिसर गर्व और उमंग से भर उठा।
“ऐसे युवाओं पर हमें गर्व है”
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा —
“ऐसे युवा हमारी प्रेरणा हैं, जो अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए ऊँचाइयों को छू रहे हैं। यह नई पीढ़ी का बस्तर है, जो परंपरा और प्रगति दोनों का संदेश दे रहा है।”
✍️ संवाददाता — अबूझमाड़ लाइव न्यूज़, सुकमा

