एग्री-क्लिनिक एवं एग्री-बिजनेस सेंटर योजना पर जिला स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न
कृषि स्नातकों को उद्यमिता एवं स्व-रोजगार के लिए किया गया प्रेरित

लिंगो मुदियाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, केरलापाल में एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य विषय “एग्री-क्लिनिक एवं एग्री-बिजनेस सेंटर (एसीएबीसी) योजना” रहा, जिसका उद्देश्य कृषि स्नातकों में कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना और उन्हें स्व-रोजगार के नए अवसर प्रदान करना है। कार्यक्रम का आयोजन नाबार्ड के सौजन्य से किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. रत्ना नशीने ने की। नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक (डीडीएम) मनीष एच. माली मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। मंच पर कृषि विज्ञान केंद्र नारायणपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. दिब्येंदु दास, कृषि विभाग के सहायक संचालक लोकनाथ भोयर, पशुधन विकास विभाग से डॉ. दीपेश रावत, मत्स्य निरीक्षक कुसुम नाग और जिले के लीड बैंक प्रबंधक सुनील कुमार भी उपस्थित रहे।
राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज) हैदराबाद से एसीएबीसी योजना के सलाहकार उदय कुमार ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रतिभागी शामिल
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक, बंधन बैंक, केनरा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक के शाखा प्रबंधक, आरसेटी के निदेशक व संकाय सदस्य, एफएलसी काउंसलर, महाविद्यालय के प्रोफेसर, स्टाफ और रावे कार्यक्रम के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ. देवेंद्र कुमार कुर्रे ने किया।
योजना का उद्देश्य और लाभ बताए गए
कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ. रत्ना नशीने ने एग्री-क्लिनिक एवं एग्री-बिजनेस सेंटर योजना के उद्देश्य बताते हुए कहा कि यह योजना कृषि स्नातकों को आत्मनिर्भर बनाने, कृषि आधारित उद्यमों के विकास और किसानों को तकनीकी परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए महत्वपूर्ण है। योजना के तहत प्रशिक्षण, बैंक ऋण और सब्सिडी की सुविधा दी जाती है।
नाबार्ड के डीडीएम मनीष एच. माली ने पावरपॉइंट प्रस्तुति के माध्यम से प्रतिभागियों को एसीएबीसी योजना की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत का कोई भी नागरिक, जिसने कृषि, उद्यानिकी, वानिकी, पशुपालन, मत्स्य विज्ञान, डेयरी प्रौद्योगिकी या कृषि अभियंत्रण में स्नातक किया हो, इस योजना का लाभ ले सकता है। कृषि विषय के साथ 12वीं उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी पात्र हैं। योजना में हैदराबाद द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में 60 दिनों का निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
उन्होंने बताया कि उद्यम स्थापना हेतु बैंक ऋण के साथ 25 प्रतिशत तक सब्सिडी तथा महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति और पूर्वोत्तर क्षेत्र के अभ्यर्थियों को 33 प्रतिशत तक अनुदान मिलता है। इसके अंतर्गत कृषि परामर्श, बीज उत्पादन, मूल्य संवर्धन, कृषि उपकरण किराया केंद्र, प्रोसेसिंग यूनिट, इनपुट डीलरशिप जैसे विविध उद्यम स्थापित किए जा सकते हैं।
ऑनलाइन मार्गदर्शन और उद्यमिता पर जोर
मैनेज से ऑनलाइन जुड़े उदय कुमार ने आवेदन प्रक्रिया, प्रशिक्षण एवं उद्यम स्थापना संबंधी प्रश्नों का समाधान किया।
डॉ. देवेंद्र कुमार कुर्रे ने कृषि उद्यमिता, व्यवसाय योजना, बैंक परियोजना प्रस्ताव और सफल कृषि उद्यमियों के उदाहरण प्रस्तुत कर युवाओं को प्रेरित किया।
कार्यक्रम का समापन
आभार प्रदर्शन डॉ. देवेंद्र कुमार कुर्रे ने किया। कार्यशाला को सफल बनाने में कृषि महाविद्यालय के स्टाफ डॉ. पुष्पेंद्र सिंह पैकरा, डॉ. मदन लाल कुर्रे और डॉ. राज सिंह सेंगर का विशेष सहयोग रहा।




