पालकी गांव में छात्रों ने किसानों संग तैयार की मटका खाद – जैविक खेती की दिशा में सार्थक पहल

पालकी गांव में छात्रों ने किसानों संग तैयार की मटका खाद – जैविक खेती की दिशा में सार्थक पहल…
नारायणपुर। लिंगो मुदियाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, केरलापाल के चतुर्थ वर्ष के छात्रों ने ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (RAWE) 2025 कार्यक्रम के अंतर्गत पालकी गांव में मटका खाद निर्माण का प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया। इस पहल का उद्देश्य किसानों को कम लागत में जैविक खाद निर्माण की तकनीक सिखाना और जैविक खेती की ओर प्रेरित करना था।

कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने किसानों को मटका खाद तैयार करने की वैज्ञानिक विधि, इसके लाभ और रासायनिक खाद की तुलना में इसके सकारात्मक प्रभाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने व्यावहारिक रूप से 10 किलो गोबर, 10 लीटर गौमूत्र, 500 ग्राम गुड़ और 500 ग्राम बेसन जैसी प्राकृतिक सामग्रियों से 10 लीटर मटका खाद बनाने की पूरी प्रक्रिया का प्रदर्शन किया।
छात्रों ने बताया कि मटका खाद मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है, सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ाती है और फसलों को रोगों से बचाती है। इसके प्रयोग से भूमि की गुणवत्ता सुधरती है और रासायनिक खादों पर निर्भरता घटती है।
कार्यक्रम में महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. रत्ना नशीने, कार्यक्रम अधिकारी एवं उद्यानिकी विशेषज्ञ डॉ. पुष्पेंद्र सिंह पैकरा, पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. विवेक विश्वकर्मा, अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विशेषज्ञ डॉ. नवीन कुमार मरकाम, डॉ. महेश दाहिरे और राज सेंगर उपस्थित रहे।
पालकी गांव के सरपंच लक्ष्मण राम दुग्गा ने भी कार्यक्रम में शामिल होकर छात्रों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि ऐसी पहलें ग्रामीण क्षेत्रों में जैविक खेती को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होंगी।
यह कार्यक्रम ग्रुप-7 के छात्रों — कुणाल अग्रवाल, निखिल पटेल, हर्षवर्धन डोनडे, मानसिंह करसप्प, चिरंजीव जैन और गौरव ध्रुव — द्वारा आयोजित किया गया।
अधिष्ठाता डॉ. रत्ना नशीने ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम न केवल किसानों को नवीन कृषि तकनीकों से जोड़ते हैं, बल्कि छात्रों को भी ग्रामीण परिस्थितियों में कार्य करने का अनुभव प्रदान करते हैं।
कार्यक्रम के अंत में किसानों और छात्रों के बीच संवाद सत्र आयोजित हुआ, जिसमें किसानों ने जैविक खाद निर्माण से जुड़ी जिज्ञासाओं पर चर्चा की और अपनी रुचि व्यक्त की।




