अबूझमाड़ में बड़ी सफलता: 1.80 करोड़ के दो नक्सली ढेर

नारायणपुर. नक्सल उन्मूलन की दिशा में सुरक्षा बलों को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। अबूझमाड़ क्षेत्र में सोमवार 22 सितम्बर को हुई मुठभेड़ में सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति के दो शीर्ष नेता—राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी और कोसा दादा उर्फ कादरी सत्यनारायण रेड्डी—ढेर हो गए। दोनों पर विभिन्न राज्यों ने कुल 1.80-1.80 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया था।

मुठभेड़ स्थल से सुरक्षा बलों ने एक एके-47 राइफल, एक इंसास राइफल, एक बीजीएल लॉन्चर, बड़ी मात्रा में विस्फोटक और माओवादी साहित्य बरामद किया है।
तीन दशक से सक्रिय, कई बड़ी घटनाओं के मास्टरमाइंड
पुलिस के अनुसार, दोनों नक्सली पिछले 30 वर्षों से दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति में सक्रिय थे और उन्होंने कई बड़े हमलों की साजिश रची थी।
- राजू दादा (63 वर्ष)-महराबेड़ा में 27 जवान, बुकिनतोर ब्लास्ट में 4 जवान, जोनागुडेम व टेकलगुडा में 22-22 जवानों के नरसंहार सहित छत्तीसगढ़, आंध्र, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 27 मामलों का आरोपी।
- कोसा दादा (67 वर्ष)-कच्चापाल जन-अदालत में 6 ग्रामीणों की हत्या, गढ़चिरौली के मरकाटोला में 17 जवान, मदनवाड़ा एंबुश में तत्कालीन एसपी सहित 27 जवान, ईरपानार एंबुश में 4 जवान शहीद और सुकमा कलेक्टर अपहरण का मुख्य आरोपी। कुल 62 मामलों में वांछित।
सर्च ऑपरेशन में मारे गए
नारायणपुर पुलिस ने बताया कि 20 सितम्बर को सूचना मिली थी कि महाराष्ट्र सीमा से लगे जंगलों में दर्जनों नक्सलियों का मूवमेंट है। इसी पर डीआरजी की टीम रवाना हुई। 22 सितम्बर को फरसबेड़ा-तोयमेटा जंगल के पास पुलिस दल पर नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में दो शीर्ष नक्सली मारे गए और अन्य भाग निकले।
राजू दादा और कोसा दादा की भूमिकाएं
- राजू दादा: केंद्रीय समिति व सीआरबी सदस्य, पूर्व बस्तर डिवीजन प्रभारी और वर्तमान में डीकेएसजेडसी सचिव।
- कोसा दादा: 1980 से माओवादी संगठन से जुड़ा, लंबे समय तक डीकेएसजेडसी सचिव रहा और वर्तमान में उत्तर क्षेत्रीय कमेटी इंचार्ज।
अधिकारियों ने क्या कहा
आईजी बस्तर पी. सुंदरराज ने कहा-“हाल के समय में प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) को गहरी चोट लगी है। वरिष्ठ कैडरों की लगातार मौत से संगठन बिखरा हुआ, नेतृत्वविहीन और दिशाहीन हो गया है। अबूझमाड़ में हुई यह कार्रवाई संगठन की कमर तोड़ने वाली साबित होगी।”
डीआईजी कांकेर अमित तुकाराम कांबले ने कहा-“दोनों वरिष्ठ नक्सलियों की मौत से संगठन की दिशा तय करने वाले प्रमुख चेहरे खत्म हो गए हैं। आम जनता पर उनका प्रभाव अब समाप्त होना तय है।”
एसपी नारायणपुर रोबिनसन गुड़िया ने बताया-“अबूझमाड़ में केंद्रीय समिति के दो शीर्ष नक्सलियों के मारे जाने से संगठन को बहुत बड़ा झटका लगा है। वर्ष 2024 से अब तक इस क्षेत्र में 127 माओवादी मारे जा चुके हैं। यह उपलब्धि संयुक्त बलों के समन्वित प्रयासों और लगातार चल रहे डोमिनेशन ऑपरेशन का परिणाम है।”
लगातार कमजोर हो रहा माओवादी तंत्र
जानकारी के अनुसार, जनवरी 2024 से 22 सितम्बर 2025 तक बस्तर रेंज में कुल 437 माओवादी मारे गए हैं। सुरक्षा बलों की लगातार दबिश और स्थानीय समुदायों के सहयोग से अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्र में भी माओवादी संगठन का प्रभाव तेजी से घट रहा है।




