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अबूझमाड़ के मासूम संजय को मिली नई जिंदगी कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं की पहल पर रायपुर में शुरू हुआ इलाज

नारायणपुर। अबूझमाड़ की कठिन जीवन परिस्थितियों में पला-बढ़ा मासूम संजय आखिरकार जीवन की नई उम्मीद की ओर बढ़ रहा है। परपा गांव का यह बालक लंबे समय से कुष्ठ रोग और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहा था, लेकिन ग्रामीण अंचलों में उचित चिकित्सा सुविधा के अभाव में उसे अब तक सिर्फ दर्द और लाचारी ही मिली। कई बार स्थानीय स्तर पर प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई, लेकिन गंभीर मामले को लेकर उदासीनता बनी रही। अंततः जब हालात बिगड़ते गए तो ग्रामीणों और पत्रकारों ने मामले को प्रमुखता से कलेक्टर के संज्ञान में लाया।

त्वरित कार्रवाई, जंगलों से रेस्क्यू

कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं ने संज्ञान लेते ही स्वास्थ्य विभाग को तत्काल बच्चे को सुरक्षित निकालने और इलाज की व्यवस्था के निर्देश दिए। प्रशासनिक अमला दुर्गम जंगलों से बच्चे को रेस्क्यू कर जिला अस्पताल तक लाने में सफल हुआ। यहां प्रारंभिक उपचार के बाद विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह पर संजय को रायपुर के डीकेएस अस्पताल रेफर किया गया।

रायपुर में भर्ती, विशेषज्ञ निगरानी

डीकेएस अस्पताल के IPD वार्ड B5 में संजय को भर्ती किया गया है। डॉक्टरों की टीम ने कई मेडिकल जांचें की हैं और व्यवस्थित इलाज शुरू हो चुका है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि संजय के इलाज में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रखी जाएगी।

संवेदनशील पहल की सराहना

ग्रामीणों ने इस संवेदनशीलता और त्वरित कदम के लिए कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं की जमकर सराहना की। उनका कहना है कि इतने दुर्गम इलाके से मासूम को रेस्क्यू कर बड़े अस्पताल में इलाज सुनिश्चित कराना प्रशासन की एक बड़ी उपलब्धि है। यह कदम अबूझमाड़ के अन्य बच्चों और परिवारों के लिए भी उम्मीद की किरण है।

कलेक्टर ने कही अहम बात

कलेक्टर ममगाईं ने कहा—
“अबूझमाड़ के हर बच्चे और ग्रामीण तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुँचाना हमारी प्राथमिकता है। संजय के इलाज में किसी तरह की कमी नहीं आने दी जाएगी। यह घटना साबित करती है कि संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से काम किया जाए तो सबसे दुर्गम इलाक़ों के मासूमों को भी जीवनदान मिल सकता है।”

पूर्व की अनदेखी पर उठे सवाल

यह मामला प्रशासनिक उदासीनता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। लंबे समय तक इलाज से वंचित रहने के बाद ही जब मीडिया और ग्रामीणों ने आवाज उठाई, तब प्रशासन हरकत में आया। स्थानीय लोग इसे “देरी से उठाया गया कदम” मानते हुए भविष्य में ऐसी लापरवाही न दोहराए जाने की मांग कर रहे हैं।

उम्मीद की किरण

संजय के इलाज ने जहां एक ओर परिवार को राहत दी है, वहीं अबूझमाड़ जैसे दूरस्थ क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों में विश्वास भी जगाया है कि यदि प्रशासन संवेदनशीलता के साथ काम करे तो जीवन बदल सकता है।

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