विश्व हिन्दू परिषद का 61वां स्थापना दिवस

विश्व हिन्दू परिषद का 61वां स्थापना दिवस, मटकी फोड़ कर मनाया गया उत्सव
नारायणपुर। विश्व हिन्दू परिषद का 61वां स्थापना दिवस नगर के कोटगोडिन मंदिर परिसर में धूमधाम से मनाया गया। बजरंग दल के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और युवा शामिल हुए। मटकी फोड़ प्रतियोगिता आयोजन का मुख्य आकर्षण रही। कार्यक्रम में बताया गया कि भारत की आजादी के बाद भी गौ हत्या, मंदिरों पर हमले, महिलाओं का अपमान और धर्मांतरण जैसी घटनाएं थमी नहीं। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए संत समाज ने 1964 में जन्माष्टमी के अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के गठन का निर्णय लिया। विभिन्न प्रांतों से आए धर्माचार्यों ने एक स्वर में हिंदुओं को संगठित करने की आवश्यकता जताई। उनका कहना था कि सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। चार वर्ण व्यवस्था योग्यता और कार्य पर आधारित थी, लेकिन गुलामी और अंग्रेजी शासनकाल में षड्यंत्रपूर्वक हिंदुओं को जाति-पांति में बांटकर कमजोर किया गया। संतों ने स्पष्ट किया कि “हिंदूवा सोदरा: सर्वे, न हिंदू पतितो भवेत्” अर्थात हिंदुओं को जाति भेद में बांटने से पतन हुआ है और एकता ही उनकी ताकत है। स्थापना दिवस पर बच्चों ने भगवान श्रीकृष्ण और राधा का रूप धारण कर मटकी फोड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसके बाद महिलाओं और युवाओं को भी क्रमवार अवसर दिया गया। उत्साह और उल्लास के बीच टोलियों ने मटकी फोड़ी और विजेताओं को परिषद की ओर से उपहार दिए गए। इस अवसर पर परिषद अध्यक्ष गोपाल दुग्गा ने कहा कि संगठन का ध्येय है कि देश के सभी हिंदू एक सूत्र में बंधकर रहें। भारत के मूल निवासी और आदिवासी अपनी संस्कृति और परंपरा का पालन करते हुए जीवन जियें। उन्होंने कहा कि किसी भी लालच या प्रलोभन में आकर अपनी संस्कृति को नहीं छोड़ना चाहिए। आदिवासी को आदिवासी रहना चाहिए और अपनी पहचान को बनाए रखना चाहिए।




