नारायणपुर के शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में होगा भूतपूर्व छात्र सम्मेलन

छात्र जीवन की यादें होंगी ताजा, गुरुजनों से होगी मुलाकात…
नारायणपुर। शिक्षा जीवन का वह आधार है, जिस पर इंसान का भविष्य टिका होता है। यही कारण है कि विद्यालय की दीवारें, कक्षाएँ और गुरुजन हमेशा यादों में बसे रहते हैं। नारायणपुर जिले का शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जिसने 1958 से अब तक हजारों छात्रों को शिक्षा देकर समाज की मुख्यधारा में खड़ा किया, अब अपने इतिहास के एक सुनहरे अवसर का साक्षी बनने जा रहा है। विद्यालय में 7 सितंबर को भूतपूर्व छात्र-छात्रा सम्मेलन का आयोजन होगा।

यह सम्मेलन विद्यालय के 65 वर्षों के गौरवपूर्ण सफर को याद करने और पुराने छात्र-छात्राओं को फिर से एकजुट करने का प्रयास होगा। वर्ष 1958 से लेकर 2024 तक इस विद्यालय से पढ़े छात्र-छात्राओं को इसमें आमंत्रित किया गया है।
भूतपूर्व छात्रों का मिलन – यादें होंगी ताजा
सम्मेलन को लेकर जिलेभर में उत्साह का माहौल है। भूतपूर्व छात्र और छात्राएं एक-दूसरे से जुड़ने और अपनी यादों को साझा करने की तैयारी में जुटे हैं। विद्यालय के प्रांगण में वह दौर फिर जीवित होगा, जब छात्र गलियारों में खेलते, किताबों के साथ सपनों की उड़ान भरते और गुरुजनों से आशीर्वाद लेकर जीवन की राह पर कदम बढ़ाते थे।
अक्सर कहा जाता है कि स्कूल की यादें जीवन की सबसे बड़ी पूंजी होती हैं। इस सम्मेलन में जब भूतपूर्व छात्र अपने जीवन की कहानियाँ साझा करेंगे, तो यह अवसर सभी के लिए भावनात्मक और प्रेरणादायक होगा।
गुरुजनों से आशीर्वाद लेने का अवसर
सम्मेलन का सबसे विशेष पहलू होगा – गुरुजनों से पुनः मुलाकात। भूतपूर्व छात्र अपने शिक्षकों से मिलेंगे, उन्हें धन्यवाद कहेंगे और उनके आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। गुरु-शिष्य का यह पावन मिलन समय की सीमाओं को लांघकर एक बार फिर जीवित होगा।
आज भले ही छात्र अलग-अलग क्षेत्रों में स्थापित हो चुके हों, लेकिन उनके जीवन की नींव यही विद्यालय और इसके गुरुजनों ने रखी थी। यह सम्मेलन उस पवित्र बंधन को और मजबूत करने का अवसर बनेगा।
वर्तमान छात्रों के लिए प्रेरणा
भूतपूर्व छात्रों का यह मिलन सिर्फ एक उत्सव नहीं होगा, बल्कि वर्तमान में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। जब वे देखेंगे कि उनके पूर्ववर्ती छात्र समाज में अलग-अलग भूमिकाएँ निभाते हुए आज सम्मानित स्थान पर हैं, तो उनके मन में भी अपने भविष्य को लेकर नए सपने और उत्साह जागेगा।
विद्यालय प्रशासन का मानना है कि इस आयोजन से युवा पीढ़ी को यह समझने का अवसर मिलेगा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल परीक्षा उत्तीर्ण करना नहीं, बल्कि जीवन के मूल्यों और रिश्तों को संजोना है।
भावनाओं का संगम – आँखों में खुशी के आँसू
सम्मेलन के दौरान जब लोग अपने पुराने साथियों से मिलेंगे, उन दिनों को याद करेंगे जब वे साथ पढ़ते, खेलते और जीवन की छोटी-बड़ी खुशियाँ साझा करते थे, तो उनकी आँखों में खुशी के आँसू झलकेंगे। यह अवसर न केवल यादों को ताजा करेगा, बल्कि आपसी संबंधों को भी और गहरा करेगा।
ऐसे आयोजन यह संदेश देते हैं कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह रिश्तों, संस्कारों और अनुभवों की धरोहर है, जो इंसान को जीवनभर मार्गदर्शन देती है।
विद्यालय का गौरव और इतिहास
शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नारायणपुर की स्थापना वर्ष 1958 में हुई थी। इस विद्यालय ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। हजारों छात्रों ने यहां से पढ़ाई कर समाज में डॉक्टर, इंजीनियर, अधिकारी, शिक्षक और विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम रोशन किया है।
यह सम्मेलन विद्यालय की उसी गौरवशाली परंपरा का हिस्सा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर सामने आएगी।
सम्मेलन का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
भूतपूर्व छात्रों का यह सम्मेलन केवल यादों को ताजा करने का नहीं, बल्कि समाज और शिक्षा के बीच गहरे संबंधों को जोड़ने का प्रयास भी है। जब पूर्व छात्र समाज में अपने अनुभव साझा करेंगे, तो यह युवा पीढ़ी के लिए सीख का अवसर बनेगा।
विद्यालय, शिक्षक और छात्र का रिश्ता एक ऐसे अटूट धागे की तरह है, जो समय बीतने के बाद भी कभी कमजोर नहीं होता। यह सम्मेलन उसी बंधन की पुनः पुष्टि है।
भूतपूर्व छात्र सम्मेलन नारायणपुर जिले के शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के इतिहास का एक सुनहरा अध्याय बनने जा रहा है। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भावनाओं, यादों और प्रेरणा का संगम है।
यह आयोजन वर्तमान छात्रों के लिए प्रेरणा, भूतपूर्व छात्रों के लिए यादों का खजाना और शिक्षकों के लिए सम्मान का प्रतीक बनेगा। आने वाले वर्षों तक इस सम्मेलन की गूँज दिलों में बनी रहेगी और यह संदेश देती रहेगी कि शिक्षा जीवन का सबसे बड़ा धन है, जिसे समय भी कभी पुराना नहीं कर सकता।




