नारायणपुर

अबूझमाड़ में नक्सलियों पर सुरक्षाबलों का शिकंजा

भारी हथियार, विस्फोटक व नक्सल साहित्य बरामद- माओवादी भाग खड़े हुए

नारायणपुर, अबूझमाड़ के दुर्गम जंगलों और पहाड़ों में नक्सल विरोधी ‘‘माड़ बचाव’’ अभियान के तहत सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। नारायणपुर पुलिस, डीआरजी, एसटीएफ और आईटीबीपी की संयुक्त कार्यवाही में माओवादियों से मुठभेड़ हुई, जिसमें नक्सली अंधाधुंध फायरिंग करते हुए घने जंगल और नदी-नालों का सहारा लेकर भाग निकले।

मुठभेड़ के बाद की गई तलाशी में सुरक्षाबलों ने बड़ी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार, विस्फोटक सामग्री और नक्सल साहित्य बरामद किया है। बरामद हथियारों में एलएमजी, ट्रिची असॉल्ट रायफल, इंसास, एसएलआर, स्टेनगन, मोटार, पिस्टल, देशी कट्टा, बीजीएल लांचर, 49 भरमार बंदूक, हैंड ग्रेनेड, डेटोनेटर, वायर, जीपीएस उपकरण समेत 300 से अधिक सामग्री शामिल है।


पांच दिनों तक चला सर्च अभियान

सूत्रों के अनुसार, 24 अगस्त को पुलिस अधीक्षक रोबिनसन गुरिया के निर्देश पर डीआरजी, एसटीएफ और आईटीबीपी की संयुक्त टीम टारगेट एरिया कसोड़, कुमुराडी, माड़ोड़ा, खोड़पार और गट्टाकाल की ओर रवाना हुई थी। अभियान के दौरान कुतुल एरिया कमेटी के माओवादियों ने सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने की नीयत से गोलीबारी शुरू कर दी। जवानों ने जवाबी कार्रवाई की तो माओवादी मौके से भाग निकले।

लगातार मूसलाधार बारिश और नदी-नालों के उफान के बावजूद सुरक्षाबलों ने पांच दिनों तक नक्सल विरोधी गश्त अभियान जारी रखा। नतीजतन, नक्सलियों का डंप किया गया बड़ा जखीरा बरामद हुआ।


नक्सलियों को मनोवैज्ञानिक झटका

पुलिस का मानना है कि इस कार्रवाई से नक्सलियों को न केवल हथियारों का नुकसान हुआ है, बल्कि रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी बड़ा झटका लगा है। सुरक्षा बलों का दावा है कि अब माओवादी माड़ क्षेत्र में कहीं सुरक्षित नहीं हैं और उनके ठिकाने लगातार सिमटते जा रहे हैं।


अधिकारियों ने कही बड़ी बातें

एसपी रोबिनसन गुरिया ने कहा – “हमारा मुख्य उद्देश्य अबूझमाड़ के मूल निवासियों को नक्सलवाद से बचाकर उन्हें विकास और शांति की मुख्यधारा से जोड़ना है। माओवादी हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण नीति अपनाएं और समाज में शामिल हों।”

आईजी बस्तर रेंज सुन्दरराज पी. ने कहा – “वर्ष 2025 में नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व को भारी क्षति पहुंचाई गई है। अब माओवादी संगठन के पास हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।”


इस अभियान ने स्पष्ट कर दिया है कि अब नक्सली माड़ में सुरक्षित नहीं हैं और नक्सल मुक्त बस्तर का सपना धीरे-धीरे साकार होता दिख रहा है।

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