नारायणपुर

22 माओवादियों का हथियार छोड़ मुख्यधारा में वापसी का संकल्प

37 लाख 50 हजार के इनामी माओवादी शामिल, डीवीसीएम, एसीएम और जनताना सरकार अध्यक्ष जैसे बड़े नामों ने किया आत्मसमर्पण…

नारायणपुर, 11 जुलाई।
जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस व सुरक्षा बलों के लगातार दबाव और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर शुक्रवार को कुल 22 सक्रिय माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया। आत्मसमर्पित माओवादियों में 14 पुरुष और 8 महिलाएं शामिल हैं, जिनमें डीवीसीएम, एसीएम, पार्टी सदस्य और जनताना सरकार के अध्यक्ष जैसे उच्च पदाधिकारी शामिल हैं। इन सभी पर कुल 37.50 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

माड़ डिवीजन के कुतुल, नेलनार और इंद्रावती एरिया कमेटी में सक्रिय ये माओवादी लंबे समय से पुलिस के रडार पर थे। आत्मसमर्पण के बाद सभी को प्रोत्साहन स्वरूप 50-50 हजार रुपये के चेक प्रदान किए गए, साथ ही उन्हें छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के अंतर्गत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

आत्मसमर्पण का मंच बना ऐतिहासिक

यह आत्मसमर्पण एसपी श्री रोबिनसन गुड़िया (भा.पु.से.) और आईटीबीपी, बीएसएफ, एसटीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में संपन्न हुआ। इस दौरान सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे ‘माड़ बचाव अभियान’ की सराहना की गई, जिसने माओवादियों के मन में बदलाव लाने में बड़ी भूमिका निभाई है।

आत्मसमर्पितों की सूची में कई बड़े नाम

इसमें मनकू कुंजाम उर्फ सुखलाल कुंजाम (डीवीसीएम – ₹8 लाख), हिड़मे कुंजाम (एसीएम – ₹5 लाख), पुन्ना लाल उर्फ बोटी (एसीएम – ₹5 लाख) जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इसके अतिरिक्त जनताना सरकार के अध्यक्ष, जनमिलिशिया कमांडर और प्रेस टीम सदस्य जैसे 22 नाम सामने आए हैं, जो वर्षों से माओवादी संगठन से जुड़े रहे।

आत्ममंथन और विकास ने बदली सोच

आत्मसमर्पण के पीछे प्रमुख कारणों में –

  • सरकार की पुनर्वास नीति,
  • लगातार बढ़ते पुलिस कैंप और सुरक्षा बलों का दबाव,
  • संगठन के भीतर बढ़ते अंतर्विरोध,
  • संगठन द्वारा स्थानीय आदिवासियों पर शोषण और हिंसा
    को जिम्मेदार माना गया है।

एसपी रोबिनसन गुड़िया ने कहा, “सरकार की पुनर्वास नीति, घर, नौकरी और सम्मानजनक जीवन जीने की गारंटी ने इन माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया है। आज का दिन ‘माड़’ को नक्सलमुक्त करने की दिशा में मील का पत्थर है।”

उन्होंने माओवादी विचारधारा में भटके युवाओं से अपील की कि वे भ्रम और हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटें। आने वाले दिनों में और भी नक्सलियों के आत्मसमर्पण की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

नक्सलियों के लिए बड़ा झटका

इस आत्मसमर्पण से न केवल माओवादी संगठन की ताकत को बड़ा धक्का पहुंचा है, बल्कि क्षेत्र में शांति स्थापना की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

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