दो महिला माओवादियों ने नारायणपुर में किया आत्मसमर्पण

आठ लाख व एक लाख की इनामी महिला नक्सली मुख्यधारा से जुड़ीं, मिली प्रोत्साहन राशि…

नारायणपुर, 12 जून 2025।
जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। सुरक्षा बलों के निरंतर दबाव, बढ़ते विकास कार्यों और पुलिस की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर दो महिला माओवादियों ने हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज की मुख्यधारा में लौटने की घोषणा की है। इनमें एक माओवादी आठ लाख और दूसरी एक लाख रुपए की इनामी है।
पुलिस अधीक्षक नारायणपुर प्रभात कुमार (भा.पु.से.), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रोबिनसन गुड़िया, डीएसपी अविनाश कंवर, अमृता पैकरा, और मनोज मंडावी की उपस्थिति में इन दोनों महिला माओवादियों ने बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया। उन्हें ₹50,000 की प्रोत्साहन राशि का चेक सौंपा गया और बताया गया कि राज्य सरकार की नक्सल उन्मूलन नीति के अंतर्गत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
आत्मसमर्पित महिला नक्सलियों की पहचान:
- सुकली कोर्राम उर्फ सपना – पति भरत कोर्राम, निवासी पंचायत करमरी, थाना फरसगांव, जिला नारायणपुर।
- पद: कंपनी नंबर 01, पीपीसीएम
- इनाम: ₹8 लाख
- देवली मंडावी – पिता लक्ष्मण मंडावी, उम्र 22 वर्ष, निवासी मेटानार, पंचायत कमलानार, थाना कुकड़ाझोर, जिला नारायणपुर।
- पद: परतापुर एरिया जनमिलिशिया सदस्य
- इनाम: ₹1 लाख
दोनों महिलाएं क्रमशः माड़ क्षेत्र और परतापुर एरिया कमेटी के अंतर्गत सक्रिय थीं और कई नक्सली गतिविधियों में संलिप्त थीं।
आत्मसमर्पण के पीछे यह कारण रहे निर्णायक:
- बढ़ते पुलिस कैम्प और सतत ऑपरेशन के चलते माओवादियों का मनोबल टूटा है।
- संगठन में बढ़ते मतभेद, बाहरी माओवादियों का शोषण, और स्थानीय आदिवासियों पर अत्याचार के चलते मोहभंग हुआ है।
- गांवों तक पहुंचती सड़कें, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा और रोजगार ने माओवादी विचारधारा को कमजोर किया है।
एसपी प्रभात कुमार ने कहा कि, “इन महिलाओं ने ‘माड़ बचाओ अभियान’ और सरकार की पुनर्वास नीति से प्रेरणा ली है। वे अब सामान्य जीवन जीने को इच्छुक हैं। सरकार घर, रोजगार, सुरक्षा और पुनर्वास के जरिये उन्हें एक नया जीवन दे रही है।”
पुलिस के अनुसार, आने वाले समय में और माओवादियों के आत्मसमर्पण की सूचनाएं भी हैं, जिससे नक्सल संगठन की शीर्ष संरचना को गंभीर क्षति पहुँच रही है।
आईटीबीपी और बीएसएफ के सहयोग से यह आत्मसमर्पण संभव हो सका है। सुरक्षा बलों का मानना है कि “नक्सल मुक्त माड़” की कल्पना अब धीरे-धीरे साकार हो रही है, और सरकार की रणनीति धरातल पर प्रभावी सिद्ध हो रही है।
(संवाददाता – नारायणपुर)




