नारायणपुर के देवांगनपारा में खिला ग्रीष्म ऋतु का पहला ब्रह्मकमल

अबूझमाड़ लइव
विशेष समाचार | दिनांक: 21 मई 2025
स्थान: नारायणपुर, छत्तीसगढ़
नारायणपुर के देवांगनपारा में खिला ग्रीष्म ऋतु का पहला ब्रह्मकमल
देवी सिंह बघेल के आंगन में खिला दुर्लभ और पवित्र पुष्प, क्षेत्र में उमड़ा उत्साह
नारायणपुर के देवांगनपारा में मंगलवार रात को देवी सिंह बघेल के निवास पर ग्रीष्म ऋतु का पहला ब्रह्मकमल खिला। इस दुर्लभ पुष्प का खिलना न सिर्फ प्रकृति प्रेमियों के लिए, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी एक शुभ संकेत माना जा रहा है।
ब्रह्मकमल, जिसे रात की रानी या अंधेरे का कमल भी कहा जाता है, एक अत्यंत दुर्लभ और पवित्र पुष्प है। इसे हिमालयी फूलों का राजा भी कहा जाता है। आमतौर पर यह फूल मानसून के समय जुलाई-अगस्त में खिलता है, लेकिन इस बार इसकी असमय प्रस्फुटन ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया है।
केवल एक रात खिला, सुबह होते ही मुरझा गया
यह फूल अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है कि यह सिर्फ रात में खिलता है और एक ही रात में मुरझा जाता है। यही वजह है कि जब यह फूल खिला तो परिवार और स्थानीय निवासी इसे देखने उमड़ पड़े। ब्रह्मकमल का खिलना क्षेत्रवासियों के लिए आध्यात्मिक अनुभव जैसा रहा।
ब्रह्मकमल: आस्था, औषधि और आश्चर्य का संगम
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मकमल को देवी-देवताओं का पुष्प माना गया है और यह पवित्रता, मासूमियत और शुभता का प्रतीक है।
इसके साथ ही आयुर्वेद में इस पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग वात रोग, सूजन, बुखार और हृदय विकार जैसे रोगों के इलाज में किया जाता रहा है।
क्या कहते हैं जानकार
वनस्पति विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रह्मकमल के खिलने का समय स्थान, मौसम और ऊंचाई पर निर्भर करता है। इसका ग्रीष्म ऋतु में खिलना बेहद दुर्लभ घटना है। यह घटना दर्शाती है कि पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता किस हद तक अद्भुत है।
देवी सिंह बघेल ने बताया कि वे इस पौधे की नियमित देखभाल करते हैं और वर्षों से इसका इंतज़ार कर रहे थे। “जब रात में यह खिला, तो ऐसा लगा जैसे कोई दैवीय उपस्थिति हमारे आंगन में उतर आई हो,” उन्होंने भावुक स्वर में कहा।
Abujhmad live इस सुंदर घटना को संरक्षित करने और प्राकृतिक चमत्कारों के प्रति जनजागरूकता फैलाने हेतु अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है।
— विशेष संवाददाता, नारायणपुर




