नारायणपुर

कालाहाजा-कुड़मेल मुठभेड़ बनी ऐतिहासिक, बरामद 4 हथियारों की हुई पहचान

लूटे गए थे सुरक्षा बलों से, एके-47 व इंसास राइफल शामिल

नारायणपुर। थाना ओरछा क्षेत्रांतर्गत 21 मई 2025 को कालाहाजा-कुड़मेल के जंगल व पहाड़ी क्षेत्रों में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में डीआरजी जवानों ने बड़ी सफलता प्राप्त करते हुए कुल 29 हथियार बरामद किए। इनमें से अब तक चार राइफलों की पहचान सुरक्षा बलों से लूटे गए हथियारों के रूप में हो चुकी है।

सुरक्षा एजेंसियों ने यह पुष्टि की है कि बरामद हथियारों में एक एके-47 राइफल तथा तीन इंसास राइफल ऐसे हैं जिन्हें विगत वर्षों में हुई अलग-अलग नक्सल घटनाओं के दौरान माओवादियों ने पुलिस बलों से लूटा था।

2010 ताड़मेटला-चिंतागुफा मुठभेड़ से लूटी एके-47 की हुई बरामदगी

दिनांक 6 अप्रैल 2010 को सीआरपीएफ 62वीं बटालियन बी कम्पनी चिंतलनार कैंप से नक्सल गश्त पर रवाना हुई थी। ताड़मेटला के जंगलों में आईईडी धमाके और गोलीबारी में 1 जवान शहीद और 7 घायल हो गए थे। इस घटना में लूटी गई एक एके-47 रायफल (बॉडी नंबर K448741) को अब कालाहाजा-कुड़मेल मुठभेड़ के दौरान मारे गए नक्सलियों के पास से बरामद किया गया है।

कौशलनार-महराबेड़ा मुठभेड़ (2010) के हथियार भी बरामद

दिनांक 29 जून 2010 को नारायणपुर के धौड़ाई थाना क्षेत्र में सीआरपीएफ और जिला पुलिस बल की टीम पर नक्सलियों ने हमला किया था। इस हमले में 27 जवान शहीद और 5 घायल हुए थे। माओवादी घटनास्थल से 23 हथियार लूट कर ले गए थे। इनमें से एक इंसास रायफल (बॉडी नंबर 16591898) को भी अब कालाहाजा-कुड़मेल मुठभेड़ में बरामद कर लिया गया है।

गवाड़ी जंगल कांड (2010) के भी मिले हथियार

8 नवंबर 2010 को थाना बेनूर से जिला पुलिस बल के दो जवान रात्रि में लापता हो गए थे, जिन्हें नक्सलियों ने बंधक बना लिया और उनसे दो इंसास रायफलें लूट ली थीं। इनमें से एक रायफल (बॉडी नंबर 18173456) अब 21 मई की मुठभेड़ में बरामद हुई है।

बुरकापाल-चिंतागुफा नरसंहार (2017) से जुड़ी राइफल भी बरामद

24 अप्रैल 2017 को सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग ड्यूटी पर निकली टीम पर नक्सलियों ने बुरकापाल के पास हमला कर दिया था। इस हमले में 25 जवान शहीद और 7 घायल हुए थे। नक्सलियों ने 27 हथियार लूटे थे। अब मुठभेड़ के बाद बरामद एक इंसास रायफल (बॉडी नंबर 16378631) की पहचान उसी घटना में लूटी गई रायफल के रूप में की गई है।

मुठभेड़ में बरामद अन्य हथियारों की पहचान जारी

इस ऑपरेशन में बरामद अन्य 25 हथियारों की भी पहचान प्रक्रिया चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान अब तक का सबसे सफल नक्सल विरोधी अभियान माना जा रहा है, जिसमें न केवल बड़ी संख्या में हथियार बरामद हुए बल्कि कई वांछित माओवादी भी मारे गए।

डीआरजी बल की अहम भूमिका

इस ऑपरेशन को डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) बलों ने अत्यंत सूझबूझ और वीरता से अंजाम दिया। पुलिस विभाग के अनुसार, यह मुठभेड़ केवल माओवादियों के खात्मे तक सीमित नहीं रही, बल्कि नक्सल इतिहास में दर्ज की गई कई जघन्य घटनाओं से जुड़े प्रमाणिक साक्ष्य भी बरामद हुए हैं।

निष्कर्ष

21 मई 2025 को कालाहाजा-कुड़मेल जंगल में माओवादियों के विरुद्ध चली कार्रवाई ने नक्सल विरोधी अभियानों की दिशा में नई उम्मीद जगाई है। बरामद हथियारों की पहचान से यह स्पष्ट है कि वर्षों पुरानी घटनाओं के राज भी अब खुलने लगे हैं। सुरक्षा बलों को मिली यह सफलता माओवादियों के नेटवर्क के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है।

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