नारायणपुर

ओरछा-नारायणपुर मार्ग बना मौत का सफर, गड्ढों में समाई विकास की उम्मीदें

जनता त्रस्त, नेता मस्त – प्रशासन बेखबर…

नारायणपुर/छोटेडोंगर ( विशेष प्रतिनिधि)

ओरछा-नारायणपुर मार्ग इन दिनों बदहाली का प्रतीक बन चुका है। इस मार्ग पर प्रतिदिन जयसवाल निको कंपनी के लोह अयस्क से भरे सैकड़ों भारी वाहनों की आवाजाही होती है, जिससे पहले से ही क्षमताविहीन सड़क पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। नतीजा यह है कि सड़क जगह-जगह से टूट चुकी है, गहरे गड्ढे जानलेवा हो चुके हैं और धूल के गुब्बारों से आमजन का सांस लेना भी दूभर हो गया है।

बड़े-बड़े गड्ढे, उड़ती धूल और प्रशासन की चुप्पी
सड़क पर बने विशाल गड्ढे और लगातार उड़ती धूल न केवल वाहन चालकों के लिए खतरा बन गई है, बल्कि आसपास के गांवों के निवासियों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रही है। बावजूद इसके शासन-प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। वर्षों से ग्रामीण सड़क निर्माण की गुहार लगा रहे हैं, परंतु न जनप्रतिनिधियों को फुर्सत है, न ही प्रशासन को परवाह।

‘जनता त्रस्त, नेता मस्त’ का जीता-जागता उदाहरण
क्षेत्र के ग्रामीण अब पूरी तरह हताश हो चुके हैं। शासन से उम्मीद छोड़कर अब यात्री और स्थानीय लोग खुद सड़क पर उतरकर गड्ढे भरने का काम कर रहे हैं। यह दृश्य शासन की नाकामी और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को आईना दिखाता है।

जन सरोकारों से दूर शासन
यह मार्ग न केवल ग्रामीणों की जीवनरेखा है, बल्कि खनिज और औद्योगिक परिवहन के लिए भी अहम है। इसके बावजूद सड़क की मरम्मत या पुनर्निर्माण की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि व अधिकारी बार-बार आश्वासन देते हैं, पर जमीन पर कोई बदलाव नजर नहीं आता।

ग्रामीणों की चेतावनी
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही ओरछा-नारायणपुर मार्ग का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे और खनिज परिवहन को रोकने जैसी कठोर कार्रवाई भी कर सकते हैं।


सवाल यह है कि कब जागेगा प्रशासन? कब सुनी जाएगी जनता की पुकार?
या फिर यह बदहाल सड़क यूँ ही ‘विकास’ के झूठे नारों के नीचे कुचलती रहेगी?


 

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