नारायणपुर

अबूझमाड़ की धरती पर विकास की दस्तक: नेलांगुर में खुला सुरक्षा एवं जनसुविधा कैंप

 

अबूझमाड़ की धरती पर विकास की दस्तक: नेलांगुर में खुला सुरक्षा एवं जनसुविधा कैंप…

नेलांगुर, जिला नारायणपुर | दिनांक: 24 अप्रैल 2025: छत्तीसगढ़ के घने जंगलों और लंबे समय से नक्सल प्रभावित माने जाने वाले अबूझमाड़ क्षेत्र में अब विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। नारायणपुर जिले के अंतिम गांव नेलांगुर में 23 अप्रैल को एक नया सुरक्षा और जनसुविधा कैंप स्थापित किया गया, जिससे अबूझमाड़ को ‘पहुँचविहीन और सुरक्षाविहीन’ कहे जाने वाली धारणा को गहरा आघात पहुँचा है।

इस कैंप की स्थापना नारायणपुर पुलिस, डीआरजी, बस्तर फाइटर और आईटीबीपी की 41वीं, 29वीं, 45वीं, 38वीं और 53वीं वाहिनी के संयुक्त अभियान के तहत की गई है। यह इस क्षेत्र में पिछले एक वर्ष में खोला गया 13वां कैंप है। नेलांगुर, जो कि महाराष्ट्र सीमा पर स्थित नारायणपुर का अंतिम गांव है, माओवादियों के पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी सदस्यों के गढ़ के रूप में जाना जाता रहा है। लेकिन अब यहाँ सुरक्षा बलों की मौजूदगी नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की ओर संकेत देती है।

65 किलोमीटर लंबी सड़क से अबूझमाड़ को मिला नया रास्ता

नारायणपुर से नेलांगुर तक पूरब से पश्चिम दिशा में 65 किलोमीटर लंबी सड़क अब पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुकी है। इससे जहां सुरक्षा बलों की पहुंच मजबूत हुई है, वहीं अब इस दूरस्थ क्षेत्र में विकास की गति भी तेज हो सकेगी। साथ ही, राष्ट्रीय राजमार्ग 130 D के निर्माण कार्य में भी उल्लेखनीय तेजी आने की उम्मीद है।

ग्रामीणों में दिखा उत्साह, विकास योजनाओं की रखी मांग

कैंप स्थापना के साथ ही पदमकोट-नेलांगुर के साप्ताहिक बाजार में नई रौनक देखने को मिली। स्थानीय ग्रामीणों ने कैंप का स्वागत किया और बिजली, नल-जल, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग रखी। प्रशासन ने शीघ्र ही “जन समस्या निवारण शिविर” आयोजित करने का आश्वासन दिया है और नियद नेल्ला नार के अंतर्गत समस्त विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की बात कही है।

अब डर नहीं, भरोसा बढ़ा है

अबूझमाड़ में लगातार बढ़ती सुरक्षा और विकास की पहुंच ने स्थानीय जनता के मन से नक्सलियों का डर कम किया है। लोगों में अब पुलिस और प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। माओवादियों के प्रभाव में कमी आने के संकेत भी स्पष्ट हैं, और कई नक्सली आत्मसमर्पण की राह पर हैं।

प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की अहम भूमिका

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे सुन्दराज पी. (आईजी बस्तर रेंज), अमित तुकाराम कांबले (डीआईजी कांकेर), राणा युद्धवीर सिंह (डीआईजी आईटीबीपी), प्रभात कुमार (एसपी नारायणपुर) सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारियों और आईटीबीपी के कमांडेंट्स की अहम भूमिका रही है। इस समन्वय और रणनीतिक योजना के चलते अबूझमाड़ को नक्सलमुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।


निष्कर्ष:
नेलांगुर में स्थापित यह नया सुरक्षा कैंप केवल एक चौकी नहीं, बल्कि यह उस दिशा में बढ़ा बड़ा कदम है, जो अबूझमाड़ को विकास की मुख्यधारा में लाने और बस्तर को नक्सलमुक्त बनाने के स्वप्न को साकार करेगा।

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