नारायणपुर

नारायणपुर में 5 लाख ईनामी एसीएम सहित 8 माओवादियों का आत्मसमर्पण, ‘‘माड़ बचाओ अभियान’’ में बड़ी सफलता

नारायणपुर में 5 लाख ईनामी एसीएम सहित 8 माओवादियों का आत्मसमर्पण, ‘‘माड़ बचाओ अभियान’’ में बड़ी सफलता…

नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में चलाए जा रहे पुलिस द्वारा ‘‘माड़ बचाओ अभियान’’ के तहत आज एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब 5 लाख रुपये के इनामी एसीएम दिलीप ध्रुवा सहित 7 अन्य माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। इन माओवादियों में 3 पुरुष और 5 महिलाएं शामिल हैं, जिनमें विभिन्न पदों पर कार्यरत 8 माओवादी शामिल थे। इन माओवादियों पर कुल 8 लाख रुपये से अधिक का इनाम घोषित था।

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में दिलीप ध्रुवा (एसीएम), सुकली तिम्मा (एलओएस सदस्य), सुधराम पोयाम (एलओएस सदस्य), सोनी कोर्राम (एलओएस सदस्य), मंगलु कश्यप (आरपीसी), घस्सी उर्फ पुन्नी पोड़ियाम (सीएनएम), अमृता नुरेटी (सीएनएम) और सुदनी वड़दा (न्यू रिकरूट) शामिल हैं। सभी ने बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया और पुलिस अधिकारियों द्वारा उन्हें 25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई।

नारायणपुर पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि यह सफलता ‘‘माड़ बचाओ अभियान’’ और नक्सल उन्मूलन नीति के तहत लगातार चलाए गए अभियानों का परिणाम है। क्षेत्र में सुरक्षा बलों के लगातार कैंप स्थापित होने और आक्रामक अभियानों के चलते माओवादी संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेदों और निराशा ने इन माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।

नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार और अति. पुलिस अधीक्षक रोबिनसन गुड़िया ने कहा कि इस आत्मसमर्पण से माड़ डिवीजन के कुतुल एरिया कमेटी के माओवादी को बड़ा झटका लगा है। पुलिस ने यह भी बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने संगठन के भीतर की शोषण और अत्याचार की घटनाओं का जिक्र किया और बताया कि नक्सली संगठन के भीतर असंतोष और मतभेदों के कारण उन्होंने यह कदम उठाया।

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने यह भी बताया कि उन्हें छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति से काफी उम्मीदें हैं, जिसके तहत उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

इस सफलता को ‘‘माड़ बचाओ अभियान’’ की सफलता के रूप में देखा जा रहा है, जिससे न केवल सुरक्षा बलों के प्रति विश्वास बढ़ा है, बल्कि नक्सलियों को भी यह एहसास हुआ है कि उनका संगठन अब कमजोर हो चुका है। अब तक के सबसे बड़े आत्मसमर्पण में से एक, यह घटना माओवादियों के लिए एक बड़ा संदेश है।

नक्सल मुक्त ‘‘माड़ बचाओ अभियान’’ की सफलता की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है, और पुलिस अधिकारियों का मानना है कि आने वाले समय में और भी नक्सली आत्मसमर्पण कर सकते हैं।

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